📰 सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2026 पर संकट, ओबीसी आरक्षण पर रिपोर्ट के इंतजार में अटके चुनाव
लखनऊ। प्रदेश में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तय समय पर हो पाएंगे या नहीं, इस पर संशय गहराता जा रहा है। वजह है – ओबीसी आरक्षण के लिए समर्पित आयोग का अभी तक गठन न होना। अगर भविष्य में बनने वाला आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए सामान्यतः लगने वाले 6 महीने का समय लेता है, तो चुनाव में देरी लगभग तय मानी जा रही है।
📅 पंचायतों का कार्यकाल
- ग्राम पंचायतों का कार्यकाल: 26 मई 2026
- क्षेत्र पंचायतों का कार्यकाल: 19 जुलाई 2026
- जिला पंचायतों का कार्यकाल: 11 जुलाई 2026
सामान्यतः चुनाव अप्रैल–मई 2026 में होने हैं। लेकिन ओबीसी आरक्षण को लेकर बने संशय ने पूरे शेड्यूल पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
🏛️ ओबीसी आरक्षण का पेच
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, ओबीसी आरक्षण लागू करने से पहले आयोग द्वारा सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन और रिपोर्ट देना जरूरी है।
- आयोग 2011 की जनगणना और 2014 के रैपिड सर्वे के आंकड़ों को आधार मानकर अपनी सिफारिशें करता है।
- आयोग को आमतौर पर जिलों में जाकर अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करने में छह माह लगते हैं।
⚖️ विभागीय स्थिति
सूत्रों के मुताबिक, पंचायतीराज विभाग ने समर्पित आयोग का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। अंतिम निर्णय सरकार को लेना है।
एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया:
“अब यह इस पर निर्भर करेगा कि आयोग कितने समय में अपनी रिपोर्ट देता है। उसी के आधार पर ओबीसी आरक्षण प्रक्रिया और चुनाव तिथियां तय होंगी।”
✍️ सरकारी कलम की राय
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने का सबसे बड़ा माध्यम हैं। चुनाव में देरी न केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करेगी बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों पर भी असर डालेगी।
👉 सरकारी कलम का मानना है कि सरकार को आयोग का गठन जल्द से जल्द करना चाहिए और पारदर्शी तरीके से रिपोर्ट तैयार करानी चाहिए। आरक्षण को लेकर कोई भी लापरवाही न केवल चुनाव टाल सकती है बल्कि कानूनी विवादों को भी जन्म दे सकती है।
📢 सरकारी कलम की आवाज़: “गाँव, पंचायत और लोकतंत्र – इनका समय पर चुनाव ही असली विकास की पहचान है।” 🌱