तबादलों पर विभाग की मनमानी से शिक्षकों में आक्रोश 😡✍️
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में चल रही तबादला प्रक्रिया ने एक बार फिर से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षक मानकर तबादले किए गए, लेकिन अब जब कई विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन हो गए, तो विभाग उन्हीं तबादलों को निरस्त करने लगा है।
मेरठ, महाराजगंज, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में शिक्षकों को वापस उनके मूल विद्यालयों में बुलाया जा रहा है। इससे शिक्षकों में भारी नाराजगी और गहरा असमंजस व्याप्त है।
लंबे इंतजार के बाद हुए थे तबादले 📋
- जून 2025 में 20,182 शिक्षकों का सामान्य तबादला किया गया।
- अगस्त 2025 में 5,378 शिक्षकों का तबादला हुआ।
उस समय विभाग ने दावा किया था कि सभी आवश्यक बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही तबादले किए गए हैं। बीएसए को भी नियमानुसार आदेश दिए गए थे। लेकिन अब उन्हीं आदेशों को पलटना विभाग की गंभीर विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
गलती पहले हुई या अब? 🤔
आठ अगस्त को जारी आदेश में साफ लिखा था कि यदि स्वेच्छा से तबादले या समायोजन से कोई विद्यालय शिक्षकविहीन होता है तो उस शिक्षक को कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा।
- सवाल यह है कि अगर नियम पहले से स्पष्ट था तो इतने बड़े पैमाने पर तबादले कैसे कर दिए गए?
- और यदि तबादले सही थे तो अब अचानक उन्हें निरस्त करना क्या विभाग की मनमानी नहीं है?
जिम्मेदारी कौन लेगा? ⚠️
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी ने कहा है कि यदि तबादले से विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन हो गए हैं तो शिक्षकों को मूल विद्यालय में लौटाया जाएगा और दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी।
👉 लेकिन शिक्षकों का सवाल है कि दो महीने बाद अचानक तबादला निरस्त करना उनके साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?
माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी इंतजार 🕰️
इसी बीच, अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में ऑफलाइन तबादले का इंतजार कर रहे 1700 से अधिक शिक्षक भी परेशान हैं।
- कई शिक्षक 24 सितंबर से संभल में धरने पर बैठे हैं।
- उनका कहना है कि सरकार मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी मांग पूरी करे।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस सत्र में भले ही तबादले की संभावना खत्म कर दी है, लेकिन शासन को प्रस्ताव भेजा गया है कि जारी की गई एनओसी अगले सत्र में भी मान्य रहेगी।
शिक्षक संघ की चेतावनी 🚩
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) ने साफ कहा है कि –
- तबादला प्रक्रिया को नियमानुसार पूरा किया जाए।
- आंदोलनरत शिक्षकों पर हो रही दंडात्मक व उत्पीड़नात्मक कार्रवाई तुरंत रोकी जाए।
- अन्यथा संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा।