✍️ सीतापुर में बेल्ट कांड: प्रधानाध्यापक बृजेंद्र वर्मा के समर्थन में लामबंद हुए संगठन
सीतापुर ज़िले में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) अखिलेश प्रताप सिंह और नदवा प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक बृजेंद्र वर्मा के बीच हुआ “बेल्ट कांड” थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह मामला अब शिक्षा विभाग से निकलकर सामाजिक-राजनीतिक रूप ले चुका है।
📌 ओबीसी महासभा और अन्य संगठनों का विरोध
सोमवार को ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राम निवास वर्मा तथा अधिवक्ता अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में अपना दल, कुर्मी समाज और कई संगठनों के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पहुंचे।
उन्होंने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनव यादव को सौंपा। ज्ञापन में यह प्रमुख मांगें रखी गईं—
- बीएसए अखिलेश प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
- विभागीय जांच किसी रिटायर्ड जज से कराई जाए।
- बीएसए कार्यालय में लगे सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक किए जाएं।
- बृजेंद्र वर्मा के साथ मारपीट करने वाले कर्मचारियों पर भी मुकदमा दर्ज हो।
- प्रधानाध्यापक का निलंबन रद्द कर उन्हें पुनः विद्यालय में नियुक्त किया जाए।
⚖️ अदालत का फैसला: राहत और निराशा दोनों
सोमवार को इस प्रकरण की सुनवाई में अदालत ने प्रधानाध्यापक की जमानत याचिका खारिज कर दी, हालांकि न्यायालय ने सबसे गंभीर आरोप यानी “जानलेवा हमले” की धारा हटाने का निर्देश दिया।
👉 इससे शिक्षक पक्ष को कुछ राहत मिली और परिवार को जल्द जमानत की उम्मीद जगी है।
👩👩👦 शिक्षक परिवार का संघर्ष
प्रधानाध्यापक की पत्नी सीमा वर्मा भी अब खुलकर सामने आ गई हैं। वे सोमवार को पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल से मिलीं और प्रार्थना पत्र सौंपा। सीमा वर्मा का आरोप है—
- उनकी पति पर बीएसए ने शिक्षिका अवंतिका गुप्ता की फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का दबाव बनाया।
- मना करने पर निलंबन की धमकी दी गई।
- जब प्रधानाध्यापक ने नोटिस जारी किया तो बीएसए नाराज़ हो गए और उन्हें स्पष्टीकरण के लिए बुलाकर बेइज्ज़त किया गया।
- कार्यालय में मौजूद कई कर्मचारियों ने उनके पति के साथ मारपीट की।
📚 असल वजह क्या?
पूरे विवाद की जड़ शिक्षिका अवंतिका गुप्ता का विद्यालय में नियमित उपस्थिति न होना बताया जा रहा है।
प्रधानाध्यापक ने कई बार शिक्षिका को समय पर आने और शैक्षिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करने के लिए कहा। लेकिन स्थिति बिगड़ती चली गई और अंततः यह मामला बेल्ट कांड तक पहुँच गया।
🚨 जनता और संगठनों की माँग
- न्यायिक जांच पारदर्शी हो।
- शिक्षक और शिक्षिका दोनों के मोबाइल CDR सार्वजनिक किए जाएं।
- पूरे प्रकरण की सीसीटीवी फुटेज मीडिया और समाज के सामने आए।
✊ शिक्षक समाज में आक्रोश
इस पूरे मामले ने शिक्षक समुदाय में गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। संगठनों का कहना है कि अगर ईमानदारी से पढ़ाने वाले शिक्षक पर दबाव और मारपीट जैसी घटनाएं होंगी, तो शिक्षा व्यवस्था का क्या होगा?
🖊️ निष्कर्ष
सीतापुर का यह प्रकरण सिर्फ एक शिक्षक और अधिकारी का विवाद नहीं रहा, बल्कि यह शिक्षक सम्मान, पारदर्शिता और विभागीय राजनीति का बड़ा सवाल बन चुका है।
अब सबकी नज़रें इस पर हैं कि न्यायालय और प्रशासन इस मामले में कितना निष्पक्ष और कड़ा कदम उठाते हैं।