पहले किया शिक्षकों का समायोजन,और अब कर रहे मूल विद्यालय वापसी,शिक्षकों मे फैला रोष – तरुन शुक्ल
- समायोजन की पूरी प्रक्रिया माननीय महानिदेशक महोदया एवं सचिव जी के निर्देशानुसार की गई है।
- दिनांक 26.06.2025 को समायोजन सूची जारी की गई, जिसमें सरप्लस शिक्षकों को दर्शाया गया।
- उक्त सूची के आधार पर शिक्षकों से आवेदन लेकर उन्हें उन विद्यालयों में समायोजित किया गया जहाँ शिक्षकों की संख्या कम थी।
- यह पूरी प्रक्रिया माननीय महानिदेशक महोदया के निर्देशों के अनुसार ही संपन्न की गई।
- समायोजन फर्स्ट के पश्चात समायोजन सेकंड की प्रक्रिया भी सफलतापूर्वक पूर्ण की गई।
- समायोजन प्राप्त शिक्षकों द्वारा लगभग 3 माह से अधिक अवधि तक नए विद्यालयों में कार्य करने के पश्चात अब उन्हें वापस किया जा रहा है।
- वापसी का कारण यह बताया जा रहा है कि उनके पूर्व विद्यालय ‘एकल’ हैं, जबकि पूर्व महानिदेशक महोदय द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि सभी शिक्षकों को कार्यमुक्त कराकर नए विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण कराया जाए।
- समायोजन की पूरी प्रक्रिया माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। अतः न्यायालय से निर्णय आने तक किसी भी शिक्षक को उसके मूल विद्यालय में वापस न किया जाए।
- सभी शिक्षकों का समायोजन शिक्षक-छात्र अनुपात (PTR) के अनुसार पूरी तरह उचित है।
- कई जिलों के बीएसए द्वारा न्यायालय में प्रक्रिया लंबित होने के बावजूद शिक्षकों को वापस भेजने के आदेश दिए जा रहे हैं, जिन्हें तत्काल रोका जाना आवश्यक है।
- समायोजन प्राप्त शिक्षक तीन माह से अधिक समय से अपने नए विद्यालयों में कार्यरत हैं और शिक्षण कार्य सुचारू रूप से कर रहे हैं। बीच सत्र में उन्हें वापस करने से शिक्षण कार्य बाधित होगा।
- शिक्षकों को बार-बार वापस भेजने के आदेश देकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिससे वे अवसाद की स्थिति में पहुँच रहे हैं।
- कई शिक्षक अपने नए विद्यालयों में BLO (Booth Level Officer) के रूप में भी कार्यरत हैं। ऐसे में उनकी वापसी निर्वाचन कार्यों को भी प्रभावित करेगी।
समायोजित शिक्षकों/शिक्षिकाओं की केवल एक मांग – जब तक उनका मामला माननीय न्यायालय मे विचाराधीन है,तब तक उनको समायोजित किये गये विद्यालय मे ही शिक्षक कार्य करने दिया जाए।
इस तरह बार बार उनको परिवार और बच्चों को इधर से उधर करने मे परेशानी होती है।
तरुन शुक्ल
समायोजित पीड़ित शिक्षक