⚠️ शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति कांड — पूर्व उपसचिव व तीन डीआईओएस समेत 48 लोगों पर केस

⚠️ शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति कांड — पूर्व उपसचिव व तीन डीआईओएस समेत 48 लोगों पर केस

स्थान: प्रयागराज | साल: मामला वर्ष 2013 की भर्ती से जुड़ा

📢 फर्जी नियुक्तियों का बड़ा खुलासा

संभल, बलरामपुर और मुजफ्फरनगर के एडेड कॉलेजों में
फर्जी पैनल बनाकर शिक्षकों की नियुक्ति करने का मामला सामने आया है।
इस घोटाले में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज के पूर्व उपसचिव,
तीन जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस),
10 प्रधानाचार्य,
8 प्रबंधक और गन्ना अधिकारी समेत
कुल 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। 🚨

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

📜 कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

विजिलेंस इंस्पेक्टर हवलदार सिंह की जांच में सामने आया कि
वर्ष 2013 में स्नातक शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकला था।
कई अभ्यर्थी चयनित नहीं हुए, लेकिन बाद में फर्जी पैनल बनाकर
उन्हें विभिन्न कॉलेजों में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त कर दिया गया।
बिना परीक्षा उत्तीर्ण किए अभ्यर्थियों को कार्यभार ग्रहण करने का पत्र भी जारी किया गया। 📑

👩‍🏫 बिना चयन के मिली नौकरी

अभ्यर्थी विवेक कुमार शुक्ला, राजकुमार और विकास तिवारी
को मुजफ्फरनगर के बरला इंटर कॉलेज में नियुक्त किया गया।
क्रमशः उन्होंने स्नातक विज्ञान, स्नातक हिंदी और
स्नातक सामाजिक विज्ञान के पदों पर आवेदन किया था, लेकिन
चयन प्रक्रिया पास किए बिना ही उन्हें पद ग्रहण करा दिया गया।
यही नहीं, बाद में अन्य अभ्यर्थियों जैसे दीपिका सिंह, अमित कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार दुबे और मृत्युंजय यादव को भी
इसी फर्जी पैनल से नियुक्त किया गया। ❌

💰 सरकारी खजाने को नुकसान

जांच में पता चला कि इस फर्जी नियुक्ति घोटाले से राज्य को
36,43,144 रुपये का नुकसान हुआ।
वर्षों तक इन 23 फर्जी अभ्यर्थियों ने
वेतन प्राप्त किया।
यदि समय रहते डीआईओएस पैनल को सत्यापित करते तो इतनी बड़ी
राजकीय धनराशि की हानि नहीं होती। 💸

🔍 दोषियों की भूमिका

इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन डीआईओएस गजेंद्र कुमार,
पटल सहायक प्रमोद कुमार शर्मा,
पवन पाल और अरविंद कुमार की भूमिका पाई गई।
वहीं, पूर्व उपसचिव नवल किशोर के हस्ताक्षर
ज्यादातर समायोजन पैनलों पर पाए गए।
यही पैनल कॉलेजों को भेजकर अभ्यर्थियों की नियुक्ति कराई गई। 🖊️

⚖️ कानूनी कार्रवाई

मई 2023 में शासन ने विजिलेंस को खुली जांच के आदेश दिए थे।
जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि होने के बाद अब
48 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
यह कार्रवाई शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार और
फर्जी नियुक्तियों के गिरोह का पर्दाफाश करती है। 🚔

✅ निष्कर्ष

शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का यह मामला बताता है कि
यदि जवाबदेही और पारदर्शिता न हो तो
शिक्षा व्यवस्था कैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकती है।
अब अदालत और विजिलेंस की निगरानी में दोषियों को
सख्त सजा दिलाना जरूरी है,
ताकि भविष्य में शिक्षा जैसी पवित्र सेवा को
फर्जीवाड़े से बचाया जा सके। 🙏

आपकी राय? क्या आपको लगता है कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया
को और ज्यादा डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए?
अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में साझा करें। 💬

(यह लेख विजिलेंस जांच और सरकारी रिपोर्ट पर आधारित समाचार सामग्री है।)

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top