⚖️ डिबार शिक्षक को एक्सपर्ट बनाने का आरोप — प्रतियोगी छात्रों ने उठाए सवाल

⚖️ डिबार शिक्षक को एक्सपर्ट बनाने का आरोप — प्रतियोगी छात्रों ने उठाए सवाल

स्थान: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश | मामला: शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुँची

📌 क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) पर गंभीर आरोप लगे हैं। आयोग ने एक ऐसे प्रोफेसर को एक्सपर्ट पैनल में शामिल कर लिया जिसे पहले ही कथित भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों के चलते डिबार किया गया था
इस फैसले ने प्रतियोगी छात्रों में गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया है।

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प्रतियोगी छात्र संघ के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर शिकायत दर्ज कराई है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। ✉️

📖 छात्रों की शिकायत में क्या कहा गया?

आरोप है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के प्रोफेसर को पीसीएस 2024 की परीक्षा के प्रश्नपत्र तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी।
परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं की जाँच और आंसर की (Answer Key) जारी करने में भी उन्हीं पर जिम्मेदारी डाली गई थी।

छात्रों का कहना है कि उक्त प्रोफेसर ने आयोग के भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत कर सही उत्तरों को गलत घोषित किया और कुछ खास उम्मीदवारों को लाभ पहुँचाने की कोशिश की।
यही कारण था कि आयोग ने उन्हें डिबार किया था। 🚫

🔁 दोबारा शामिल किए जाने पर विवाद

हैरानी की बात यह है कि डिबार किए जाने के मात्र दो हफ्तों बाद ही आयोग ने उसी प्रोफेसर को पुनः एक्सपर्ट कमेटी में शामिल कर लिया।
यही नहीं, आरोप है कि एसीएफ/आरएफओ परीक्षा का प्रश्नपत्र भी उन्होंने ही बनाया था और अब 12 अक्टूबर को होने वाली पीसीएस 2025 की प्रारंभिक परीक्षा में भी इन्हीं को प्रश्नपत्र बनाने का कार्य सौंपा गया है। 📄

📣 छात्रों और समाज की प्रतिक्रिया

इस पूरे प्रकरण से न केवल प्रतियोगी छात्र नाराज़ हैं बल्कि आमजन में भी आयोग की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।
छात्रों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। ⚔️

✅ आवश्यक कदम और सुझाव

  • निष्पक्ष जांच: मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए।
  • जवाबदेही तय: आयोग के भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान कर कठोर कार्रवाई की जाए।
  • पारदर्शिता: प्रश्नपत्र और उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन की प्रक्रिया को सार्वजनिक और पारदर्शी बनाया जाए।
  • भविष्य में रोकथाम: डिबार किए गए व्यक्तियों को किसी भी परिस्थिति में पुनः शामिल न किया जाए।

🔎 निष्कर्ष

यह प्रकरण उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की निष्ठा और विश्वसनीयता पर गहरा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यदि इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं हुई तो
लाखों प्रतियोगी छात्रों का भरोसा टूट सकता है।
आवश्यक है कि सरकार और आयोग तत्काल सख्त कदम उठाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। 🙏

आपका क्या मानना है? क्या डिबार प्रोफेसर को फिर से एक्सपर्ट पैनल में शामिल करना उचित था? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर साझा करें। 💬

(यह लेख मीडिया रिपोर्ट्स और छात्रों की शिकायत पर आधारित है। जांच जारी है और आगामी अपडेट्स के अनुसार जानकारी जोड़ी जाएगी।)

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