आदतें बनाती हैं हमारी दिनचर्या, 65% कार्य होते हैं ‘ऑटोपायलट’ पर 🧠☕
नई दिल्ली। हाल ही में एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि हमारी दैनिक गतिविधियों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा आदतों से प्रेरित होता है। यानी, हम जो काम रोज करते हैं, उनमें से अधिकांश काम सोच-समझकर नहीं बल्कि अपने रूटीन और वातावरण के कारण किए जाते हैं।
अध्ययन का विवरण 📊
- यह शोध सरे विश्वविद्यालय (यूके), दक्षिण कैरोलिना विश्वविद्यालय (अमेरिका) और सेंट्रल क्वींसलैंड विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) के शोधकर्ताओं ने किया।
- 105 प्रतिभागियों पर एक सप्ताह तक नजर रखी गई।
- प्रतिभागियों से दिन में छह बार स्मार्टफोन के माध्यम से अपनी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने को कहा गया।
- उनसे यह भी पूछा गया कि क्या उनकी हर गतिविधि जानबूझकर की गई थी या आदतन।
परिणाम:
- लगभग 65 प्रतिशत दैनिक व्यवहार आदत पर आधारित पाए गए।
- इसका मतलब है कि हमारा मस्तिष्क बार-बार किए जाने वाले कामों के लिए ऑटोमैटिक न्यूरल पाथवे बना लेता है।
आदतें कैसे काम करती हैं? 🔄
- आदतें हमारे मस्तिष्क को हर छोटे-बड़े निर्णय के लिए सोचने से बचाती हैं, जिससे मानसिक ऊर्जा की बचत होती है।
- उदाहरण:
- सुबह उठकर कॉफी बनाना
- काम पर जाते समय एक ही रास्ते का उपयोग करना
ये कार्य अक्सर बिना सोच-समझे अपने आप हो जाते हैं।
अध्ययन की अन्य महत्वपूर्ण बातें 🧩
- शोध में यह भी देखा गया कि कौन-कौन से व्यवहार ऑटोपायलट पर थे और किनके लिए सचेत प्रयास की आवश्यकता थी।
- आदत और जानबूझकर किए गए व्यवहार के बीच ओवरलैप का विश्लेषण किया गया।
- अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि हमारी अधिकांश दिनचर्या आदतों के अनुसार निर्धारित होती है।
“सरकारी कलम” की राय ✍️
इस शोध से यह सीख मिलती है कि हम अपनी आदतों को नियंत्रित करके जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
- सकारात्मक आदतें अपनाकर हम स्वास्थ्य, उत्पादकता और मानसिक संतुलन को सुधार सकते हैं।
- इस जानकारी से छात्रों और पेशेवरों को यह समझने में मदद मिलती है कि रूटीन और आदतें हमारी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
📢 कुल मिलाकर, आदतें केवल स्वचालित व्यवहार नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन को सुव्यवस्थित और ऊर्जा-कुशल बनाने का तरीका हैं।