शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों पर तत्कालीन समाज कल्याण अफसरों से जवाब-तलब 📝⚖️
अनुदानित विद्यालयों में फर्जी नियुक्तियों का मामला अब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। शासन ने आजमगढ़ और मऊ के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारियों से कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जांच में फर्जी अनुमोदन पत्र और गड़बड़ दस्तावेजों का खुलासा हुआ है।
आजमगढ़ और मऊ में बड़ा फर्जीवाड़ा 📌
वर्ष 2017-18 में आजमगढ़ और मऊ के समाज कल्याण विभाग से संचालित तीन अनुदानित विद्यालयों में 26 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी।
नियम के अनुसार, विद्यालय प्रबंधक को विज्ञापन निकालना होता है और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा पात्र अभ्यर्थियों के दस्तावेजों और अर्हता की जांच कर अनुमोदन देना अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में:
- बीएसए से अनुमोदन लिया ही नहीं गया।
- फर्जी अनुमोदन पत्र तैयार करके रिपोर्ट निदेशालय भेज दी गई।
- पत्रांक और दिनांक में गड़बड़ी पकड़ी गई।
कार्रवाई की चपेट में अफसर 👨💼
शासन ने आजमगढ़ के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी बलदेव त्रिपाठी व प्रमोद कुमार सिंह और मऊ के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी मुक्तेश्वर चौबे को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में समाज कल्याण निदेशालय का एक तत्कालीन अधिकारी भी शामिल था, जिसे इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
एफआईआर और वेतन पर रोक 🚫💰
जांच में गड़बड़ी सामने आने पर शासन ने संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, इन सभी शिक्षकों को वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
इससे स्पष्ट है कि सरकार अब इस मामले को लेकर सख्त रवैया अपनाने के मूड में है।
कुशीनगर में भी जांच शुरू 🔍
फर्जी नियुक्तियों की जांच का दायरा अब कुशीनगर तक बढ़ा दिया गया है। यहां 2010 में अनुदानित विद्यालयों में चार शिक्षकों की नियुक्ति में भी अनियमितता पाई गई है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इसमें भी बीएसए की मंजूरी नहीं ली गई थी।
अब आगे क्या? ⚖️
तीनों तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। शासन ने उनसे जवाब तलब किया है। जवाब मिलने के बाद उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की संभावना है।
अगर इस पूरे मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई गई तो और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।