एडेड के 2,000 कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को नहीं मिल रहा पद का वेतन — संघ ने CM से हस्तक्षेप मांगा ⚖️

एडेड के 2,000 कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को नहीं मिल रहा पद का वेतन — संघ ने CM से हस्तक्षेप मांगा ⚖️

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) कॉलेजों में लगभग 2,000 कार्यवाहक प्रधानाचार्यों से पूरा काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें पद के अनुरूप वेतन नहीं दिया जा रहा। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने शैक्षिक सत्र 2023 से वेतन देने की मांग उठाते हुए मुख्यमंत्री से त्वरित हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।

मुद्दा क्या है? 🧾

संघ का कहना है कि एडेड कॉलेजों में जो प्रधानाचार्य कार्यवाहक पद पर तैनात हैं, वे नियम अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं — परन्तु उन्हें पद के अनुरूप वेतन नहीं मिल रहा है। यह अनियमितता विशेष रूप से तब उभरी जब शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन हुआ और कुछ प्रावधानों में बदलाव किए गए।

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पीछे की वजह — धारा 18(क) का सवाल ❗

डॉ. जितेंद्र सिंह पटेल (प्रादेशिक अध्यक्ष) और ओम प्रकाश त्रिपाठी (उपाध्यक्ष) के अनुसार, पहले भर्ती/सम्बंधित प्रक्रियाओं में धारा 18(क) के अंतर्गत तदर्थ पदोन्नति कर पद का अनुमोदन और वेतन भुगतान किया जाता था। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग में यह धारा शामिल न किए जाने से यही स्थिति उत्पन्न हुई है — और कार्यवाहक प्रधानाचार्यों का शोषण हो रहा है।

किसने क्या कहा — संघ की मांगें 📣

उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने स्पष्ट रूप से कहा है:

  • शैक्षिक सत्र 2023 से उन कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को पद का वैधानिक वेतन तत्काल पारित किया जाए।
  • नए आयोग के नियमों में जिन प्रावधानों के हटने से वेतन रोका गया है, उनकी पुन: समीक्षा करते हुए न्यायसंगत समायोजन किया जाए।
  • मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप और समस्या का स्थायी समाधान माँगा गया है।

कर्मचारी जीवन पर असर — क्या जानें? ⚠️

पद का वेतन न मिलना केवल आर्थिक कष्ट नहीं है — इससे मानसिक दबाव, नौकरी की अनिश्चितता और पेशेवर असंतोष बढ़ता है। कई प्रधानाचार्य अपने दायित्व निभाते हुए भी अवैध प्रथाओं का शिकार महसूस कर रहे हैं।

सरकार के पास चारा — संभावित समाधान 💡

इस समस्या के समाधान के लिए कुछ व्यावहारिक कदम सुझाये जा सकते हैं:

  1. धारा 18(क) से संबंधित प्रावधानों की समीक्षा कर, जहां आवश्यक हो उसे लागू या वैकल्पिक प्रावधान द्वारा समान लाभ सुनिश्चित किया जाए।
  2. आयोग के नए नियमों के अनुरूप ट्रांज़िशन पॉलिसी बनाकर 2023 के बाद के प्रभावी मामलों को पीछे से नियमित किया जाए।
  3. एडेड कॉलेजों के वेतन और नियुक्ति रिकॉर्ड की पारदर्शी ऑडिट कराई जाए ताकि अन्य अनियमितताओं का भी शीघ्र पता चल सके।
  4. संघों और सरकार के बीच त्वरित संवाद और समन्वय सुनिश्चित किया जाए — जिससे स्थायी समाधान निकले।

संघ का आह्वान और आगे की राह 🕊️

डॉ. जितेंद्र सिंह पटेल व ओम प्रकाश त्रिपाठी ने एक साथ मिलकर कहा है कि यदि मुख्यमंत्री स्तर पर हस्तक्षेप नहीं हुआ तो संघ अगले कदम के रूप में सार्वजनिक मोर्चे पर आवाज तेज करेगा और आवश्यक कानूनी उपायों पर भी विचार कर सकता है।

निष्कर्ष: शिक्षा संस्थानों में कार्यरत कर्मियों का सम्मान और अधिकार सुनिश्चित करना न केवल सरकारी दायित्व है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता के लिए भी जरूरी है। एडेड कॉलेजों के कार्यवाहक प्रधानाचार्यों को उनके पद का वैधानिक वेतन दिलाना तुरंत प्राथमिकता होनी चाहिए।

📬 यदि आप इस मसले से जुड़े हैं या इस पर कोई दस्तावेज़/सूचना साझा करना चाहते हैं, तो कृपया विश्वसनीय चैनलों के माध्यम से समाचार टीम से संपर्क करें।

© रिपोर्ट: स्थानीय संवाददाता — लखनऊ

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