🇮🇳 सी. पी. राधाकृष्णन बने भारत के नए उपराष्ट्रपति — राज्यसभा में नया अध्याय
वरिष्ठ भाजपा नेता और वर्तमान महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति पद की दौड़ जीत चुके हैं — यह नतीजा पूरे देश की राजनीतिक सरगर्मियों का केंद्र रहा। ✨
तेज़ नतीजा: सी. पी. राधाकृष्णन ने संसदीय मतदान में स्पष्ट बहुमत हासिल कर उपराष्ट्रपति का पद अपने नाम किया। इस जीत के साथ सत्ता पक्ष ने उच्च सदन पर अपनी पकड़ और मजबूत की है। 🗳️👍
क्या हुआ — नतीजे की झलक
9 सितंबर 2025 को हुए गुप्त मतदान में सी. पी. राधाकृष्णन, जो एनडीए के उम्मीदवार और भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर निर्वाचित हुए। उन्होंने प्रथम वरीयता के मतों में भारी बढ़त बनाई और जीत सुनिश्चित की। 📊🔥
कौन हैं सी. पी. राधाकृष्णन?
तमिलनाडु में जन्मे सी. पी. राधाकृष्णन दो बार सांसद रह चुके हैं और भाजपा की तमिलनाडु इकाई में कई अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं। हाल ही में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। संगठनात्मक कौशल और जनसंपर्क में माहिर राधाकृष्णन का सफ़र क्षेत्रीय राजनीति से लेकर इस संवैधानिक पद तक बेहद प्रेरक रहा है। 🧭🌾
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति का कार्यभार भी संभालते हैं। राधाकृष्णन का चुनाव न सिर्फ़ सत्ता गठबंधन के लिए शक्ति का प्रतीक है बल्कि संसदीय बहसों और नियमों को संचालित करने में भी अहम भूमिका निभाएगा। 🏛️⚖️
प्रतिक्रियाएँ — राजनीतिक जगत में
सत्ताधारी दल ने इस जीत को गठबंधन की एकजुटता का प्रमाण बताया, वहीं विपक्ष ने उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए संवैधानिक संतुलन बनाए रखने पर ज़ोर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि सभापति की भूमिका दिखने में औपचारिक है लेकिन संसदीय प्रक्रियाओं को दिशा देने में अत्यंत प्रभावी होती है। 🗣️📌
मुख्य तथ्य (एक नज़र में) 🔍
- पूरा नाम: चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन
- समर्थन: भारतीय जनता पार्टी / राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन
- पद: भारत के उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति
- चुनाव तिथि: 9 सितंबर 2025
- मत विवरण: राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता में 452 से अधिक मत मिले।
आगे क्या?
राधाकृष्णन अब राज्यसभा की कार्यवाही कैसे संचालित करते हैं और विभिन्न दलों के साथ संबंध कैसे संतुलित रखते हैं, यह देखना रोचक होगा। साथ ही, यह कार्यकाल संवैधानिक परंपराओं और निष्पक्षता की कसौटी भी बनेगा। 🔭
संक्षेप में: यह चुनाव भारतीय संसदीय इतिहास का महत्वपूर्ण पड़ाव है — एक अनुभवी नेता अब उस संवैधानिक पद पर आसीन हैं जो गरिमा और ज़िम्मेदारी दोनों का संगम है। 🇮🇳✨