⚠️असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती कटऑफ पर बवाल! आरक्षित वर्ग का कटऑफ ज्यादा क्यों? 🎓🔥

असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती कटऑफ पर बवाल! आरक्षित वर्ग का कटऑफ ज्यादा क्यों? 🎓🔥

लखनऊ। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 910 पदों हेतु निकाली गई भर्ती की कटऑफ सूची ने विवाद खड़ा कर दिया है।


क्या है विवाद का कारण?

4 सितंबर को जारी विज्ञापन संख्या 51 के अंतर्गत शॉर्टलिस्टेड अभ्यर्थियों की सूची में कई विषयों के कटऑफ चौंकाने वाले हैं।

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  • हिंदी विषय उदाहरण:
    • अनारक्षित (UR): 140
    • ईडब्ल्यूएस: 146
    • ओबीसी: 142

यानी, आरक्षित वर्ग का कटऑफ अनारक्षित से अधिक निकला है, जबकि सामान्य धारणा इसके उलट होती है।


विशेषज्ञों ने क्या कहा?

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. राकेश सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा:

“यदि अनारक्षित सूची सभी वर्गों के लिए खुली है, तो आरक्षित वर्ग का कटऑफ अधिक कैसे हो सकता है? यदि कोई नियम है, तो आयोग को वेबसाइट पर स्पष्ट करना चाहिए।”

इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए शिव शंकर मौर्य ने कहा:

“लिखित परीक्षा के परिणाम में अभ्यर्थी को उसी श्रेणी में रखा जाता है, जिसमें उसने आवेदन किया है। अनारक्षित सीटें अधिक होने के कारण वहां अधिक अभ्यर्थी बुलाए जाते हैं, जिससे कटऑफ कम हो जाता है। आरक्षण का नियम अंतिम परिणाम में लागू होता है।”


आयोग का क्या कहना है?

आयोग के उपसचिव डॉ. शिवजी मालवीय ने कहा:

“आयोग ने कोई गलती नहीं की है। फिर भी, जिन अभ्यर्थियों को आपत्ति है, उनकी शिकायतों का समुचित निस्तारण किया जाएगा।”


मुख्य बिंदु

  • कटऑफ विसंगतियों ने चयन प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न खड़े किए।
  • अभ्यर्थियों की नाराज़गी सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही है।
  • आयोग ने आपत्तियों के निस्तारण का आश्वासन दिया है।

आपकी राय क्या है? 🤔

क्या आरक्षित वर्ग का कटऑफ अधिक होना न्यायसंगत है? या आयोग को कटऑफ निर्धारण की पारदर्शी व्याख्या जारी करनी चाहिए?


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