मोबाइल और कंप्यूटर ने बिगाड़ा पोस्चर, बच्चों व युवाओं में बढ़ा गर्दन-कमर दर्द 📱💻
पिछले पांच सालों में फिजियोथेरेपी की जरूरत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। स्कूली बच्चे, कॉलेज के छात्र और कामकाजी युवा अप्रत्याशित रूप से गर्दन व कमर दर्द से जूझ रहे हैं। मोबाइल फोन और कंप्यूटर पर घंटों झुके रहना इस समस्या की सबसे बड़ी वजह बनकर उभरा है।
बिगड़े पोस्चर का असर क्यों खतरनाक?
- लंबे समय तक सिर झुकाकर मोबाइल इस्तेमाल करने से गर्दन पर दबाव बढ़ता है।
- एक ही मुद्रा में घंटों कंप्यूटर पर काम करने से कमर दर्द बढ़ता है।
- गलत जीवनशैली और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने फिजियोथेरेपी की डिमांड कई गुना बढ़ा दी है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
“मोबाइल और कंप्यूटर पर अधिक काम करने से गर्दन दर्द युवाओं में तेजी से बढ़ा है। कई बच्चों को अब नियमित फिजियोथेरेपी करानी पड़ रही है।”
— दीपक राज गर्ग, फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ
“गर्भवती महिलाओं को भी अब फिजियोथेरेपी से जुड़ी यौगिक क्रियाएं सिखाई जा रही हैं ताकि उनका पोस्चर बेहतर हो और दर्द कम हो।”
— डॉ. प्रीति गुप्ता, अध्यक्ष, IMA मुरादाबाद ब्रांच
पहले और अब का फर्क
- पहले: फिजियोथेरेपी की जरूरत मुख्यतः फ्रैक्चर, लकवा (पैरालिसिस) या हड्डी-जोड़ों की चोटों तक सीमित थी।
- अब: बच्चों, कॉलेज छात्रों और युवाओं में गर्दन व कमर दर्द के लिए फिजियोथेरेपी आम हो गई है।
सरकारी कलम की राय ✍️
तकनीक ने काम आसान जरूर किया, लेकिन गलत पोस्चर ने नई पीढ़ी को समय से पहले बीमार बना दिया है। स्कूल-कॉलेज और दफ्तरों में एर्गोनॉमिक फर्नीचर, शारीरिक व्यायाम और फिजियोथेरेपी जागरूकता को बढ़ावा देना समय की जरूरत है।