सुप्रीम कोर्ट के टीईटी फैसले से बिहार के शिक्षकों को क्यों नहीं होगा असर? 🏫📜
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य करने का आदेश दिया है। इस फैसले से देशभर में लाखों शिक्षक चिंतित हैं, लेकिन बिहार के शिक्षकों के लिए यह चिंता का विषय नहीं है।
बिहार में नियोजन का इतिहास क्या कहता है?
- 2007 और 2008 में कुल 2.25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति हुई, ये टीईटी पास नहीं थे।
- 1 अप्रैल 2010 से टीईटी या एसटीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया।
- 2010 से पहले जिन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी, उनकी दक्षता परीक्षा ली गई।
- बाद में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दक्षता परीक्षा पास = टीईटी के समकक्ष माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश क्यों नहीं करेगा असर? ⚖️
- सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी शिक्षकों को दो साल के भीतर टीईटी पास करना होगा।
- लेकिन बिहार के जिन शिक्षकों ने दक्षता परीक्षा पास की है, वे पहले ही टीईटी समकक्ष माने जा चुके हैं।
- इसलिए, 2010 से पहले नियोजित और दक्षता परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों को चिंता की जरूरत नहीं।
क्या सिर्फ बिहार को राहत मिलेगी?
- यह राहत सिर्फ बिहार के 2010 से पहले नियोजित शिक्षकों तक सीमित है।
- 2010 के बाद नियुक्त शिक्षक पहले ही टीईटी/एसटीईटी पास कर चुके हैं।
- अन्य राज्यों में जहां ऐसी कोई समकक्ष परीक्षा नहीं हुई, वहां यह आदेश बड़ा असर डालेगा।
सरकारी कलम की राय:
बिहार सरकार ने समय रहते दक्षता परीक्षा करवा कर एक बड़ा कदम उठाया था, जिससे अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहां लागू नहीं होगा। अन्य राज्यों को भी इस तरह की व्यवस्था अपनानी चाहिए थी, ताकि अनुभवी शिक्षकों पर संकट न मंडराता।