अब दांत और मसूड़े बताएंगे मौत का सटीक समय! केजीएमयू का बड़ा शोध 🧬
फॉरेंसिक साइंस में एक बड़ी उपलब्धि सामने आई है। अब किसी व्यक्ति की मौत के समय का पता लगाने के लिए दिल के टिश्यू की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि दांत और मसूड़ों के नमूने ही यह राज खोल देंगे।
क्या है यह नई खोज?
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ओरल पैथोलॉजी विभाग ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सहयोग से यह शोध किया।
- शोध के दौरान 20 शवों के दांत और मसूड़ों के नमूने लिए गए।
- इन नमूनों की डीएनए जांच, पोस्टमार्टम डेंटल प्रोफाइल, रंग व आकार का विश्लेषण किया गया।
- पाया गया कि मौत के बाद समय बीतने के साथ दांत और मसूड़ों में रंग, आकार और सिकुड़न जैसे बदलाव आते हैं।
शोध से क्या मिला पता?
- पहले मौत के समय का अनुमान दिल के टिश्यू की जांच से लगाया जाता था।
- अब दांत और मसूड़ों से ही यह सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।
- उम्र के हिसाब से बदलाव की रफ्तार अलग पाई गई।
- यह तकनीक हफ्तों या महीनों पुराने शव की भी जांच में मददगार होगी।
कानूनी मामलों में बड़ा फायदा ⚖️
डॉ. शालिनी गुप्ता, अध्यक्ष – ओरल पैथोलॉजी विभाग, केजीएमयू ने बताया:
“हमने 20 शवों के दांत और मसूड़ों का सैंपल जुटाया। इनकी डीएनए, रंग और आकार का अध्ययन किया। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि दांत और मसूड़ों से मौत का सटीक समय पता लगाया जा सकता है।”
इस शोध से पुलिस और फॉरेंसिक विभाग को हत्या, दुर्घटना और संदिग्ध मौत के मामलों में जांच आसान हो जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
इस शोध को एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। प्रकाशित होने के बाद यह तकनीक और भी व्यापक स्तर पर उपयोग में लाई जा सकेगी।
निष्कर्ष 🧪
फॉरेंसिक साइंस के इस नए अध्याय से न सिर्फ जांच प्रक्रिया तेज होगी बल्कि कई असुलझे केसों के रहस्य भी उजागर हो सकेंगे। यह भारत की मेडिकल रिसर्च के लिए गर्व का विषय है।