4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य भर्ती पर घमासान – शिक्षक आपस में भिड़े! 🏫
उत्तर प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य भर्ती को लेकर विवाद गहरा गया है। शिक्षकों के दो गुट आमने-सामने हैं – एक पक्ष चाहता है कि भर्ती तुरंत शुरू हो, जबकि दूसरा पक्ष चाहता है कि इसे रोका जाए।
क्या है मामला?
- 12 साल से प्रधानाचार्य भर्ती लंबित है, जिससे पठन-पाठन पर सीधा असर पड़ रहा है।
- एक गुट ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को भर्ती का विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया जाए।
- वहीं, दर्जनों शिक्षकों ने नए पद मांगने की कार्रवाई रोकने के लिए याचिका दायर कर दी है।
पुराने अधियाचनों का विवाद 📄
- वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 में 884 प्रधानाचार्य और 729 प्रधानाध्यापक के अधियाचन भेजे गए थे।
- 9 दिसंबर 2024 को नवगठित आयोग के सचिव मनोज कुमार ने इन्हें शून्य घोषित कर दिया।
- कारण: पुराने अधियाचन नए नियमों के अनुसार नहीं थे।
- नए नियमों के तहत अधियाचन भेजने का प्राधिकारी अब जिला विद्यालय निरीक्षक के बजाय निदेशक को बनाया गया है।
कौन क्यों रोकना चाहता है भर्ती?
- कार्यवाहक प्रधानाचार्य (जो फिलहाल अस्थायी रूप से पद संभाल रहे हैं) नहीं चाहते कि नए प्रधानाचार्यों की भर्ती हो।
- इन पदों पर स्थायी नियुक्ति होने से उनका पद समाप्त हो जाएगा।
- इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट से सचिव के आदेश (9 दिसंबर 2024) और माध्यमिक शिक्षा निदेशक के आदेश (29 जुलाई 2025) को रद्द करने की मांग की है।
क्या होगा आगे?
- यदि कोर्ट भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देता है, तो 4512 विद्यालयों में वर्षों से रुकी नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा।
- यदि भर्ती रोकी जाती है, तो पठन-पाठन पर असर जारी रहेगा और कार्यवाहक प्रधानाचार्य बने रहेंगे।
निष्कर्ष 📌
यह मामला सिर्फ नौकरियों का नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता का भी सवाल है। 12 साल से रुकी भर्ती ने न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावित किया है, बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी असर डाला है।