विवि और महाविद्यालयों के शिक्षकों को पाँच साल से सम्मान का इंतजार 🎓

इंतजार

विवि और महाविद्यालयों के शिक्षकों को पाँच साल से सम्मान का इंतजार 🎓

लखनऊ। हर साल 5 सितंबर को विद्यालयों के शिक्षकों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाता है। लेकिन विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के शिक्षक पिछले 5 वर्षों से अपने सम्मान का इंतजार कर रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग की चुप्पी ने शिक्षकों में गहरी निराशा फैला दी है। 🕰️

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वर्ष 2019 में उच्च शिक्षा के शिक्षकों को पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद 2020 और 2021 में घोषणा हुई लेकिन सम्मान अब तक नहीं दिया गया। इससे शिक्षकों की सूची भी अधर में अटकी हुई है।

शिक्षकश्री व सरस्वती सम्मान 🏅

उच्च शिक्षा विभाग राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के शिक्षकों को दो अलग-अलग पुरस्कार देता था — शिक्षकश्री और सरस्वती सम्मान

  • शिक्षकश्री में 1.50 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न दिया जाता था।
  • सरस्वती सम्मान में भी तीन शिक्षकों को 1.50 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए जाते थे।
  • ये पुरस्कार हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर दिए जाते थे।

क्यों रुका सम्मान? ⏸️

विभागीय सूत्रों के मुताबिक, सम्मान रोकने का कोई स्पष्ट कारण अब तक सामने नहीं आया है। 2019 के बाद फाइलों में ही निर्णय अटक गया। शिक्षकों का कहना है कि यह केवल लापरवाही है, क्योंकि चयनित नाम भी घोषित हो चुके थे। 😔

“शिक्षक सम्मानित किए जाने की प्रक्रिया बंद होना दुर्भाग्यपूर्ण है। तुरंत पुनः शुरू किया जाए और 2020-21 में घोषित नामों को सम्मानित किया जाए।”

डॉ. मनोज पांडेय, अध्यक्ष, एलुम्नाई एसोसिएशन

शिक्षकों ने कई बार विभाग से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अब शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

📢 मांग: शिक्षक संगठन चाहते हैं कि 2020-21 की लंबित सूची को तत्काल लागू कर सम्मान समारोह दोबारा शुरू किया जाए।

नोट: यह लेख विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शिक्षकों को पाँच साल से न मिलने वाले सम्मान पर आधारित है। अंतिम निर्णय उच्च शिक्षा विभाग की कार्रवाई पर निर्भर करेगा।

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