🏫 भोपाल का सरकारी स्कूल बना नज़ीर: नवाचार से बढ़ी पढ़ाई और परिणाम
सरकारी स्कूलों को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं – पढ़ाई का स्तर, बच्चों की रुचि, और अनुशासन। लेकिन भोपाल के निशातपुरा सांदीपनी विद्यालय ने अपने अनूठे प्रयासों से यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और नवाचार से बदलाव संभव है।
✨ नवाचार जो बदल गया खेल
- तेज और कमजोर विद्यार्थियों की जोड़ी:
प्रत्येक कक्षा में कमजोर और तेज विद्यार्थियों को चिह्नित कर पेयर स्टडी सिस्टम लागू किया गया।- तेज विद्यार्थी अपने साथी को पढ़ाता और सवालों के उत्तर समझाता है।
- कमजोर विद्यार्थी को विषय गहराई से समझने में मदद मिलती है।
- स्टार ऑफ द वीक:
हर सप्ताह एक विद्यार्थी और एक शिक्षक को चुना जाता है।
आधार: नियमितता, टेस्ट प्रदर्शन, अनुशासन और खेल भावना। - प्रेरक माहौल:
इन पहलों से न केवल पढ़ाई बेहतर हुई बल्कि बच्चों की उपस्थिति और अनुशासन में भी सुधार आया।
📈 परिणामों में सुधार
परीक्षा परिणाम (प्रतिशत में)
- कक्षा 10वीं: 71% → 94%
- कक्षा 12वीं: 65% → 95%
विद्यार्थियों की संख्या
- 2022: 872
- 2025: 1300
🗣️ प्राचार्य आरसी जैन की पहल
आरसी जैन बताते हैं कि जब वे 2022 में स्कूल आए, तब उपस्थिति मात्र 68% थी और आधे बच्चे बीच में गायब हो जाते थे।
नवाचार लागू करने के बाद:
- उपस्थिति 100% तक पहुंची
- विद्यार्थियों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आया
🌟 सीखने योग्य बातें
- शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को समान रूप से प्रेरित करना आवश्यक है।
- नवाचार हमेशा बड़े बजट से नहीं, सोच से शुरू होता है।
- सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों को टक्कर दे सकते हैं।