यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला: अब आउटसोर्स कर्मचारियों को तीन साल की सेवा, बढ़ा मानदेय और मिलेगा आरक्षण लाभ! 🚀
उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंगलवार की कैबिनेट बैठक में “उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम” के गठन को मंजूरी दी गई। इसके तहत अब राज्य के सभी सरकारी विभागों में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं और सुविधाएं पहले से कहीं बेहतर होंगी।
नई व्यवस्था में क्या-क्या बदलेगा?
- सेवा अवधि अब 3 साल की होगी, इसके बाद नवीनीकरण संभव होगा।
- पहले एक साल का अनुबंध होता था, जिससे कर्मचारियों में असुरक्षा की स्थिति रहती थी।
- न्यूनतम मानदेय अब ₹20,000/माह, पहले यह केवल ₹10,000 था।
- उच्च श्रेणी के पदों पर ₹40,000/माह तक का न्यूनतम वेतन तय।
- आरक्षण लाभ (SC/ST/OBC/EWS/दिव्यांगजन/भूतपूर्व सैनिक/महिलाओं) को भी लागू किया जाएगा।
- महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिलेगा।
- वेतन सीधे बैंक खाते में 1 से 5 तारीख के बीच जमा होगा।
- ईपीएफ व ईएसआई की सुविधा भी अनिवार्य।
चयन प्रक्रिया और पारदर्शिता
पहले विभाग सीधे एजेंसियों का चयन कर लेते थे, जिससे अनियमितताओं की आशंका रहती थी। अब चयन प्रक्रिया जेम पोर्टल (GEM) के माध्यम से होगी।
- चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर।
- समय-समय पर प्रशिक्षण देकर कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाई जाएगी।
- अनियमितता पाए जाने पर सेवा तुरंत समाप्त की जा सकेगी।
श्रेणीवार न्यूनतम वेतन
- श्रेणी-1: चिकित्सीय, अभियंत्रण, व्याख्यान, परियोजना प्रबंधन, लेखा स्तर-1, अनुसंधान (वरिष्ठ) – ₹40,000
- श्रेणी-2: कार्यालय/आशुलिपिक स्तर-2, डाटा प्रोसेसिंग, शिक्षण सेवाएं, नर्सिंग, फार्मेसी – ₹25,000
- श्रेणी-3: टंकण, इलेक्ट्रिशियन, फिटर, प्रयोगशाला परिचालन, वाहन चालक – ₹22,000
- श्रेणी-4: लिफ्ट ऑपरेटर, डाक, खान-पान, बागवान, सैनिटेशन, सुरक्षा आदि – ₹20,000
मृत्यु पर सहायता और सुरक्षा
- सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर ₹5 लाख का मुआवजा।
- अंतिम संस्कार के लिए ₹15,000 सहायता राशि।
संपत्ति बंटवारे में भी राहत: अब केवल 5000 रुपये में कानूनी विभाजन 🏠
कैबिनेट ने पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को आसान बनाने के लिए भी बड़ा निर्णय लिया। अब स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क मिलाकर अधिकतम ₹5000 लगेगा। पहले यह संपत्ति मूल्य का 4–5% तक होता था।
- उदाहरण: 1 करोड़ की संपत्ति पर पहले लगभग ₹5 लाख खर्च होता था, अब मात्र ₹5000।
- इससे लोग कानूनी पंजीकरण कराएंगे और विवाद कम होंगे।
- सरकार को प्रारंभिक राजस्व हानि होगी (~₹6.39 करोड़), लेकिन लंबी अवधि में लाभ मिलेगा।
यूपी में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को बड़ा प्रोत्साहन 📱💻
राज्य सरकार ने “इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025” को भी मंजूरी दी है।
- 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान।
- अब यूपी केवल असेंबली हब नहीं, बल्कि टीवी, मोबाइल और लैपटॉप कंपोनेंट्स निर्माण का गढ़ बनेगा।
सरकारी कलम की राय ✍️
यह फैसला आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राहत की सांस है। पहले जहां उन्हें अस्थायी और कम वेतन वाली नौकरियों में असुरक्षित महसूस करना पड़ता था, अब तीन साल की गारंटी, बढ़ा हुआ मानदेय और आरक्षण लाभ उन्हें स्थायित्व और सम्मान दोनों दिलाएगा। साथ ही, संपत्ति बंटवारे के फैसले से लाखों परिवारों को न्याय मिलेगा और इलेक्ट्रॉनिक्स नीति से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।