⚖️ ‘50% आरक्षण सीमा नहीं लांघ सकते’ – हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश से जुड़ा अहम निर्णय, राज्य सरकार की याचिका खारिज
आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
अदालत ने अंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर स्थित
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश से जुड़ी याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए भी
आरक्षण की सीमा को लांघना संभव नहीं है। 🚫
यह फैसला अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता और आरक्षण की
संवैधानिक सीमा को ध्यान में रखकर दिया गया है। अदालत ने राज्य सरकार की उस
दलील को भी खारिज कर दिया जिसमें 79% से अधिक सीटों को आरक्षित करने की बात कही गई थी।
📌 सरकार की याचिका खारिज
राज्य सरकार और महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा की ओर से
याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश
के लिए विशेष परिस्थितियों में आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सकती है।
लेकिन अदालत ने साफ कहा कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ जाकर
50% से अधिक आरक्षण देना संभव नहीं है।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा 50% की सीमा
तय की गई है तो इसे किसी भी राज्य सरकार या उच्च न्यायालय द्वारा
लांघा नहीं जा सकता। ⚖️
💼 नौकरी तलाश रहे कर्मियों का वेतन रोका जाना गलत
कोर्ट ने एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
बेहतर वेतन और सुविधाओं के लिए नौकरी तलाश रहे कर्मचारियों का
भुगतान रोकना अनुचित है।
एक मामले की सुनवाई में अदालत ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों को
उनकी सेवाओं के लिए वेतन दिया जाना चाहिए।
इस दौरान अदालत ने यह भी कहा कि कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन
नहीं किया जा सकता और किसी भी तरह से उन्हें आर्थिक संकट में नहीं डाला जा सकता। 💰
👩⚖️ ‘सुप्रीम कोर्ट में महिला जजों की नियुक्ति हो’
एक और बड़ी मांग को उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में महिला न्यायाधीशों की कमी
को दूर किया जाए।
एसोसिएशन का कहना है कि महिला न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाकर
न्यायपालिका में संतुलन और न्याय वितरण को
और मजबूत बनाया जा सकता है।
वर्तमान में कई राज्यों जैसे उत्तराखंड, झारखंड, मणिपुर, मेघालय आदि में
उच्च न्यायालयों में कोई भी महिला न्यायाधीश नहीं है। ⚠️