बच्चों के आधार पंजीयन में रुकावट: जन्म प्रमाणपत्र की देरी बनी सबसे बड़ी बाधा 🧾
लखनऊ। डाक विभाग द्वारा बख्शी का तालाब स्थित एक विद्यालय में आयोजित आधार पंजीकरण शिविर ने एक बार फिर बच्चों के आधार पंजीयन से जुड़ी समस्याओं को उजागर कर दिया। शिविर में 100 से अधिक बच्चे नामांकन के लिए पहुंचे, लेकिन इनमें से लगभग 50 प्रतिशत बच्चों का पंजीयन केवल इसलिए नहीं हो सका क्योंकि उनके पास जन्म प्रमाणपत्र या वैध अभिलेख उपलब्ध नहीं थे।
अभिभावकों का कहना है कि संबंधित विभाग समय पर जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं करते, जिसके कारण बच्चों का आधार बनवाने में देरी होती है। डाक विभाग का मानना है कि यदि समय पर वैध कागजात उपलब्ध कराए जाएं तो आधार पंजीयन का आंकड़ा दोगुना हो सकता है।
एक वर्ष में 20 लाख पंजीयन, उतने ही रह गए अधूरे 📊
लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र (लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, अयोध्या और अंबेडकरनगर) में डाक विभाग ने एक वर्ष (1 जुलाई 2024 से 31 जुलाई 2025) में 2,85,454 नए आधार पंजीयन और 17,12,693 अपडेट किए। इसके बावजूद, लगभग उतने ही पंजीयन या अपडेट वैध दस्तावेज न होने के कारण नहीं हो सके।
पांच करोड़ बच्चों का आधार पंजीयन अब भी बाकी 🧒
प्रदेश में अभी भी करीब पांच करोड़ बच्चों का आधार पंजीयन बाकी है। ग्रामीण क्षेत्रों में आधार सेवा केंद्र दूर-दूर होने और जागरूकता की कमी के कारण अभिभावक बच्चों का पंजीकरण किशोरावस्था तक टाल देते हैं।
पोस्ट मास्टर जनरल ने क्या कहा?
सुनील कुमार राय, पोस्ट मास्टर जनरल, लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र ने कहा:
“शिविर में आने वाले लगभग 50 प्रतिशत बच्चों का आधार पंजीयन केवल इसलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि उनके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। यदि सक्षम अधिकारी समय पर यह प्रमाणपत्र जारी करें, तो आधार पंजीयन में तेजी से वृद्धि हो सकती है।”
समाधान क्या है? ✅
- जन्म प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
- स्कूलों और पंचायत स्तर पर जन्म प्रमाणपत्र पंजीकरण अभियान चलाया जाए।
- ग्रामीण क्षेत्रों में आधार शिविरों की संख्या बढ़ाई जाए।
- अभिभावकों को बच्चों के आधार के महत्व पर जागरूक किया जाए।
सरकार यदि इन प्रमुख चुनौतियों को दूर करती है तो न केवल बच्चों का आधार पंजीयन तेज होगा, बल्कि विभिन्न योजनाओं का लाभ भी समय पर उन्हें मिल सकेगा।