मातृ उन्मुखीकरण कार्यक्रम: बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक बड़ा कदम 🌟
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत बच्चों के प्रारंभिक विकास और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में मातृ उन्मुखीकरण कार्यक्रम (Mother Orientation Programme) की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य माताओं को बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा, पोषण और देखभाल की महत्ता से जोड़ना और उन्हें जागरूक बनाना है।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं 🏫
- अवधि एवं आयोजन तिथि:
- जुलाई 2025 से मार्च 2026 तक प्रत्येक माह के पहले शनिवार को कार्यक्रम आयोजित होगा।
- प्रथम बैठक 05 जुलाई 2025 को आयोजित की जाएगी।
- कौन होगा शामिल?
- प्रधानाध्यापक
- नोडल शिक्षक एवं एजुकेटर
- आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां
- सुपरवाइजर और शिक्षा अधिकारी
- मासिक विषय-वस्तु:
- जुलाई: बच्चों के शुरुआती वर्षों का महत्व
- अगस्त: घर पर बच्चों के लिए अनुकूल माहौल
- सितम्बर: कलात्मक गतिविधियों का महत्व
- दिसम्बर: ज्ञानेंद्रियों को उत्तेजित करने वाले खेल
- जनवरी: स्थानीय खेल एवं सीखने की विधियां
कार्यक्रम का उद्देश्य 🎯
- माताओं को बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा एवं देखभाल के महत्व से अवगत कराना।
- बच्चों में सीखने की क्षमता, पोषण एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- घर और विद्यालय के बीच मजबूत सहयोग प्रणाली तैयार करना।
वित्तीय प्रावधान 💰
- प्रत्येक विद्यालय को कार्यक्रम संचालन हेतु ₹4,500 प्रति विद्यालय (जुलाई–मार्च) की धनराशि प्रदान की जाएगी।
- धनराशि का उपयोग अतिथियों के जलपान, आयोजन सामग्री और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए होगा।
- समस्त व्यय PMS पोर्टल पर अंकित किया जाएगा।
जिम्मेदारियां और अनुश्रवण 🔎
- जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यक्रम का निरीक्षण एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करेंगे।
- सुपरवाइजर और नोडल शिक्षक प्रत्येक माह बैठक का संचालन एवं अनुश्रवण करेंगे।
- आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बच्चों की माताओं को आमंत्रित एवं जागरूक करेंगी।
क्यों है यह कार्यक्रम जरूरी? 🤱
प्रारंभिक बचपन ही वह समय है जब बच्चों के मस्तिष्क का सर्वाधिक विकास होता है। माता ही बच्चों की प्रथम शिक्षिका होती हैं। यदि इस स्तर पर सही मार्गदर्शन मिले, तो बच्चों का समग्र विकास—शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक—बेहतर हो सकता है।
निष्कर्ष
मातृ उन्मुखीकरण कार्यक्रम न केवल माताओं को जागरूक करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह नवभारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव भी रखेगा। नियमित बैठकें, सक्रिय सहभागिता और उचित वित्तीय प्रबंधन से यह कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम कर सकता है।