स्कूलों में लगेगा ‘शुगर बोर्ड’ – बच्चों को मिलेगा मीठे के खतरों का सबक! 🍭🚫
बढ़ती शुगर की समस्या अब सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि बच्चों में भी तेजी से फैल रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बड़ा कदम उठाया है। अब हर माध्यमिक विद्यालय में ‘शुगर बोर्ड’ लगाया जाएगा, जो बच्चों को रोजमर्रा के खाने में छिपी चीनी की मात्रा बताएगा।
क्या है शुगर बोर्ड?
यह एक दृश्य सूचना प्रदर्शन होगा, जिसमें पैकेट बंद खाद्य पदार्थों, फ्लेवर्ड योगर्ट, जूस, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, कोल्ड ड्रिंक, पेटीस और अन्य स्नैक्स में मौजूद शुगर की मात्रा दर्शाई जाएगी।
इस बोर्ड के जरिए छात्रों को चीनी के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान जैसे –
- मोटापा
- दांतों में सड़न
- मेटाबोलिक सिंड्रोम
- डायबिटीज़ का खतरा
– से अवगत कराया जाएगा।
डब्ल्यूएचओ की सिफारिश भी शामिल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बच्चों को दैनिक कैलोरी का 10% से कम चीनी से लेना चाहिए।
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव ने सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों (D.I.O.S.) को निर्देश जारी किए हैं कि इस पहल को स्कूलों में तुरंत लागू किया जाए।
विशेषज्ञों ने की सराहना
डायटीशियन कौसेन हफीज का कहना है,
“जब बच्चों को पता चलेगा कि वे जो खा रहे हैं, उसमें कितनी चीनी है, तो उनकी सतर्कता बढ़ेगी। यह कदम बच्चों की खाने की आदतों में सकारात्मक बदलाव लाएगा।”
बच्चों को क्यों है इसकी ज़रूरत?
आजकल के खान-पान में –
- कोल्ड ड्रिंक
- चॉकलेट
- फ्लेवर्ड ड्रिंक्स
- जंक फूड
– में चीनी की मात्रा बेहद ज्यादा है, और बच्चे अनजाने में ही इसे नियमित रूप से खा-पी रहे हैं।
सीबीएसई ने पहले ही उठाया था कदम
सीबीएसई स्कूलों में इस तरह की पहल पहले की जा चुकी है, और अब इसे माध्यमिक विद्यालयों में भी लागू किया जा रहा है।
निष्कर्ष
शुगर बोर्ड का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि बच्चों को स्वस्थ खाने की ओर प्रेरित करना और भविष्य की गंभीर बीमारियों से बचाना है।