परिषदीय शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त करने की मांग तेज! 🏫🗳️
परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को आगामी ग्राम पंचायत चुनाव 2026 में बीएलओ (Booth Level Officer) व बीएलओ सुपरवाइजर की ड्यूटी से मुक्त कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है।
शिक्षकों की आपत्ति – गैर शैक्षणिक कार्य से शिक्षा पर असर
एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा कि परिषदीय शिक्षकों को बीएलओ व सुपरवाइजर के रूप में लगाया जाना गैर शैक्षणिक कार्य की श्रेणी में आता है।
- अधिकांश शिक्षक उस क्षेत्र के मतदाता भी नहीं हैं,
- और न ही 10 किमी की परिधि के निवासी।
- इससे बच्चों का पठन-पाठन गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
वर्तमान परिस्थितियों में क्यों बढ़ी समस्या?
इस समय विद्यालयों में:
- स्कूल विलय प्रक्रिया चल रही है,
- परीक्षाएं प्रस्तावित हैं,
- और शिक्षकों पर पहले से ही अतिरिक्त कार्यभार है।
ऐसे में बीएलओ जैसी चुनावी ड्यूटी न केवल शिक्षा व्यवस्था को बाधित कर रही है, बल्कि नियमों के भी विपरीत है।
क्या है शिक्षकों की मांग?
शिक्षक संगठन ने मांग की है कि:
- परिषदीय शिक्षकों को बीएलओ व सुपरवाइजर की जिम्मेदारी से तत्काल मुक्त किया जाए,
- और इस कार्य हेतु स्थानीय व उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जाए।
निष्कर्ष
शिक्षा की गुणवत्ता तभी सुधर सकती है जब शिक्षकों को केवल शैक्षणिक कार्यों पर केंद्रित रहने दिया जाए। चुनावी ड्यूटी जैसी गैर शैक्षणिक जिम्मेदारियां हटाकर, सरकार बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में अहम कदम उठा सकती है।