संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित: हंगामे और विधायी कार्यों के बीच मिला-जुला रहा सत्र जनता के टैक्स के 248 करोड़ बर्बाद


संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित: हंगामे और विधायी कार्यों के बीच मिला-जुला रहा सत्र

नई दिल्ली।
संसद का मानसून सत्र बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। यह सत्र कई कारणों से चर्चा में रहा—ऑपरेशन सिंदूर, बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर विवाद, जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया इसकी प्रमुख वजहें रहीं।

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हंगामे के कारण कार्यवाही पर असर

सत्र के दौरान विपक्ष और सरकार के बीच तीखी नोकझोंक रही।

  • लोकसभा के 84.5 घंटे और राज्यसभा के 81.12 घंटे हंगामे के चलते व्यर्थ गए।
  • कार्यवाही की लागत को देखते हुए करीब 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
  • लोकसभा की कार्यवाही 126 करोड़ रुपये और राज्यसभा की लगभग 122 करोड़ रुपये की लागत पर प्रभावित हुई।

विधायी कार्य ताबड़तोड़ निपटाए गए

हंगामे के बावजूद सरकार ने अंतिम दो सप्ताह में कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराए:

  • कुल 27 विधेयक पारित हुए — राज्यसभा में 15 और लोकसभा में 12।
  • कई विधेयक बिना लंबी चर्चा के ध्वनिमत से पारित किए गए।
  • प्रमुख विधेयकों में ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक शामिल है, जिसका उद्देश्य ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी को रोकना है।
  • प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए संगीन अपराध की स्थिति में पद से हटाने संबंधी प्रावधान वाले तीन अहम विधेयक संयुक्त संसदीय समिति को भेजे गए।

महाभियोग प्रस्ताव की शुरुआत

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति बनी। स्पीकर ने इसके लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया।


विपक्ष का रुख और अधूरी चर्चाएं

  • एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने सत्र भर हंगामा किया।
  • देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर विशेष चर्चा अधूरी रह गई।
  • विपक्ष का आरोप था कि कई विधेयक जल्दबाजी में बिना पर्याप्त बहस के पारित कराए गए।

निष्कर्ष

मानसून सत्र ने कई महत्वपूर्ण फैसलों को जन्म दिया, मगर लगातार हंगामे, बाधित कार्यवाही और संसदीय समय की बर्बादी ने इसे सुचारु रूप से चलने नहीं दिया। सरकार ने जहां आवश्यक विधेयक पास कराने में तेजी दिखाई, वहीं विपक्ष अपनी मांगों पर अड़ा रहा।


रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम


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