मानव त्वचा निर्माण में वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक उपलब्धि: जले और त्वचा रोगियों के लिए नई उम्मीद
त्वचा रोग और जलने से पीड़ित मरीजों के लिए अब एक नई उम्मीद जग चुकी है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के वैज्ञानिकों ने दुनिया की पहली इंसानी त्वचा को प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक विकसित किया है।
इस त्वचा की खासियत
- यह त्वचा असली मानव त्वचा की तरह दिखती है।
- इसमें खून की नलियां, परतें, रोएं, रंग और नर्व शामिल हैं।
- यह अब तक बनी कृत्रिम त्वचा से कहीं अधिक वास्तविक और प्रभावी है।
कैसे बनाई गई यह त्वचा?
वैज्ञानिकों ने मरीजों की त्वचा की कोशिकाएं (Skin Cells) लेकर उन्हें स्टेम सेल्स में बदला। स्टेम सेल्स को विशेष गुणों के कारण किसी भी प्रकार की कोशिका में बदला जा सकता है। इन्हीं स्टेम सेल्स से छोटे-छोटे स्किन ऑर्गेनॉइड्स बनाए गए और खून की नलियां विकसित करके उन्हें इस कृत्रिम त्वचा में जोड़ा गया। इस प्रक्रिया को सफल बनाने में लगभग छह साल का समय लगा।
किसे होगा लाभ?
- जले हुए मरीज: गंभीर जलन के मामलों में बेहतर और प्राकृतिक जैसी नई त्वचा लगाई जा सकेगी।
- त्वचा रोगी: स्किन की गंभीर बीमारियों के शोध और इलाज में बड़ी मदद मिलेगी।
भारत और विश्व में जलन की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल लगभग 1.8 लाख लोगों की मौत जलने से होती है, जिनमें से अधिकतर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हैं। भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग मध्यम या गंभीर रूप से जलते हैं।
क्यों है यह उपलब्धि अहम?
जलन या त्वचा रोग से पीड़ित लोगों के लिए यह कृत्रिम त्वचा जीवनदायिनी साबित हो सकती है। भविष्य में यह तकनीक स्किन ग्राफ्ट के लिए क्रांतिकारी बदलाव लाएगी और मरीजों को नई जिंदगी देने का काम करेगी।