यूपी में बड़ा फर्जीवाड़ा: 22 फर्जी शिक्षकों की नौकरी खत्म, 80 लाख तक की होगी रिकवरी 📚
माध्यमिक शिक्षा विभाग की जांच में बड़ा घोटाला सामने आया है। 2014 में आजमगढ़ मंडल में हुई एलटी ग्रेड (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) की नियुक्तियों में 22 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। विभाग ने तत्काल प्रभाव से इनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं और वेतन की रिकवरी व एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी किया है।
कैसे हुआ खुलासा?
- 2014 में समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर आवेदन लिए गए थे।
- हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता के आधार पर मेरिट बनाकर काउंसिलिंग के जरिये चयन हुआ।
- गहन सत्यापन में दस्तावेज कूटरचित पाए गए।
कितनी रिकवरी होगी?
- एक शिक्षक का औसत वेतन (पिछले 11 वर्षों का): लगभग ₹79–80 लाख।
- 22 शिक्षकों से अनुमानित वसूली: 17–18 करोड़ रुपये।
जिन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हुईं (कुछ प्रमुख नाम):
- विनय कुमार यादव (गणित/विज्ञान) – मऊ
- पवन कुमार (जीव विज्ञान) – बाराबंकी
- अतुल प्रकाश वर्मा (अंग्रेजी) – बाराबंकी
- अंकित वर्मा (हिंदी) – बाराबंकी
- लक्ष्मी देवी (गणित/विज्ञान) – बाराबंकी
… और कुल 22 शिक्षक शामिल।
(पूरी सूची विभाग द्वारा जारी की गई है।)
बड़ा सवाल: 11 साल तक ये फर्जी शिक्षक कैसे पढ़ाते रहे?
- सत्यापन में 11 साल क्यों लग गए?
- लाखों रुपये की रिकवरी वास्तव में हो पाएगी या नहीं?
- जिन विद्यार्थियों की पढ़ाई इन फर्जी शिक्षकों के भरोसे हुई, उसकी भरपाई कैसे होगी?
आगे की कार्रवाई
- सभी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश।
- वेतन की रिकवरी के लिए प्रक्रिया शुरू।
- संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षकों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश।
यह मामला माध्यमिक शिक्षा भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है। क्या सरकार भविष्य में इस तरह की नियुक्तियों की कड़ी जांच व निगरानी सुनिश्चित करेगी?