⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज की:
इंचार्ज प्रधानाध्यापक को मिलेगा प्रधानाध्यापक पद का पूरा वेतन 🧑🏫💼
ब्रेकिंग अपडेट: माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय/खंडपीठ लखनऊ के उस आदेश में दखल देने से इनकार किया है, जिसमें इंचार्ज (In-charge) प्रधानाध्यापक को प्रधानाध्यापक के समान वेतन व भत्ते देने का निर्देश दिया गया था। राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय का निर्णय बरकरार रहा। ✨
🧩 पृष्ठभूमि: मामला क्या था?
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कई सहायक अध्यापकों को प्रशासनिक तौर पर इंचार्ज प्रधानाध्यापक का कार्यभार दिया गया था। प्रश्न यह था कि जब कार्य प्रधानाध्यापक का है तो वेतन व भत्ता भी उसी पद के अनुरूप क्यों न मिले? इसी सिद्धांत—“समान कार्य, समान वेतन”—पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिया था, जिसे यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट का आदेश: हाईकोर्ट का फैसला कायम
- 🟢 SLP खारिज: सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है।
- 💰 वेतन व भत्ते: इंचार्ज प्रधानाध्यापक को प्रधानाध्यापक के समकक्ष वेतन-भत्ता देय होगा।
- 📅 बकाया भुगतान: न्यायालय के आदेशानुसार बकाया देयकों के निपटान पर भी ज़ोर (हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप)।
- 👨🏫 नियुक्ति का तर्क अस्वीकार: अगर राज्य नियमित प्रधानाध्यापक नियुक्त नहीं करता और इंचार्ज से कार्य लेता है, तो वेतन भी पदानुकूल देना होगा।
यह निर्णय हजारों इंचार्ज प्रधानाध्यापकों के लिए बड़ी राहत है और शिक्षा तंत्र में न्याय व पारदर्शिता को मज़बूती देता है।
📊 इसका प्रभाव किन पर पड़ेगा?
- इंचार्ज प्रधानाध्यापक (परिषदीय/बेसिक शिक्षा): समकक्ष वेतन-भत्ता व देय बकाया।
- जिला/बीएसए कार्यालय: अनुपालन हेतु वेतन निर्धारण, देयकों का भुगतान, सेवा अभिलेख अद्यतन।
- राज्य सरकार: नीति/कार्मिक प्रबंधन—नियमित प्रधानाध्यापक की समयबद्ध नियुक्ति की ज़रूरत पर बल।
🧾 शिक्षकों के लिए टू-डू चेकलिस्ट ✅
- 📂 सेवा अभिलेख तैयार रखें—इंचार्ज आदेश/कार्यभार ग्रहण, उपस्थिति/कार्यदिवस, एसआर एंट्री।
- 📝 वेतन निर्धारण आवेदन अपने बीईओ/बीएसए कार्यालय में जमा करें; आदेश की प्रति संलग्न करें।
- 💵 बकाया का हिसाब—महिना-वार अंतर (पे + एलाउंस) का विवरण बनवाएँ/सत्यापित कराएँ।
- 📮 अनुस्मारक—समुचित समय में कार्रवाई न होने पर रिमाइंडर/प्रतिनिधित्व दें।
- ⚖️ अनुपालन न होने पर—कानूनी सलाह से कंटेम्प्ट/अनुपालन प्रार्थना-पत्र पर विचार।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1) क्या सभी इंचार्ज को तुरंत पूरा वेतन मिल जाएगा?
आदेश सिद्धांत स्थापित करता है; कार्यान्वयन के लिए संबंधित वेतन प्राधिकरण प्रक्रियात्मक औपचारिकताएँ पूरी करेगा—वेतन निर्धारण, एरियर कैलकुलेशन और बजट हेड इत्यादि।
2) क्या व्यक्तिगत आदेश/कविएट आवश्यक है?
कई मामलों में शिक्षकों/पक्षकारों ने कविएट दाखिल की थी ताकि बिना सुने कोई विपरीत आदेश न हो। आप अपने केस-रिकॉर्ड के अनुसार विधि विशेषज्ञ से सलाह लें।
3) प्रभाव की तिथि क्या होगी?
आमतौर पर जिस अवधि में इंचार्ज के रूप में वास्तविक कार्य लिया गया—उसी के अनुरूप वेतन/भत्ते देय होते हैं। सटीक अवधि/दरें ऑर्डर की भाषा और वेतन नियमों के अनुसार तय होंगी।
🌟 क्यों अहम है यह फैसला?
यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में कार्य-आधारित पारिश्रमिक के सिद्धांत को मजबूती देता है। प्रशासनिक सुविधा से इंचार्ज बनाकर वेतन-वंचना अब टिकाऊ नहीं रही। इससे विद्यालय प्रबंधन को भी संकेत मिलता है कि नियमित नियुक्ति टालने के बजाय समय पर पद-पूर्ति आवश्यक है।