✍️
माध्यमिक शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने की मांग तेज 🎓📜

✍️
माध्यमिक शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार डीआईओएस से वापस लेने की मांग तेज 🎓📜

लखनऊ।
विधान परिषद में बुधवार को माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सेवा सुरक्षा का मुद्दा जोरदार तरीके से गूंजा।
शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी ने डीआईओएस (जिला विद्यालय निरीक्षक) से शिक्षकों को निलंबित करने का अधिकार वापस लेने की मांग की, यह कहते हुए कि इससे शिक्षकों का शोषण बढ़ गया है


🔹 शिक्षकों के पक्ष में सदन की एकजुटता

ध्रुव त्रिपाठी ने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाकर कहा कि—

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now
  • पहले चयन बोर्ड अधिनियम में स्पष्ट था कि बोर्ड की मंजूरी के बिना दंडात्मक कार्रवाई शून्य होगी
  • चयन करने वाला आयोग ही दंड देने का अधिकार रखता था, लेकिन अब यह प्रावधान खत्म हो गया है।
  • इस बदलाव के कारण, डीआईओएस को एकतरफा कार्रवाई का अधिकार मिल गया, जिससे शिक्षकों की सेवा सुरक्षा खतरे में है।

उन्होंने मांग की कि रद्द किए गए चयन बोर्ड अधिनियम की धाराएं 12, 18 और 21 को इंटरमीडिएट एक्ट में फिर से जोड़ा जाए

भाजपा के उमेश द्विवेदी, श्रीश चंद्र, देवेंद्र प्रताप सिंह, और नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव ने भी इस मांग का समर्थन किया।
सभी का कहना था कि शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार किसी एक अधिकारी को नहीं, बल्कि एक समिति को होना चाहिए


🔹 मंत्री का रुख

माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि—

  • नियमों में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं दिख रही है।
  • यदि शिक्षक डीआईओएस की कार्रवाई से असंतुष्ट है, तो वह मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक के यहां अपील कर सकता है।

उनके इस बयान से असंतुष्ट होकर ध्रुव त्रिपाठी ने सदन से वॉकआउट कर दिया।


📌 सरकारी कलम की राय

शिक्षकों की सेवा शर्तें और सुरक्षा शिक्षा की गुणवत्ता से सीधा जुड़ा मुद्दा है।
यदि किसी अधिकारी को एकतरफा निलंबन का अधिकार मिल जाए, तो इसका दुरुपयोग होने की संभावना रहती है।
इसलिए, संतुलित और पारदर्शी प्रक्रिया जरूरी है, जिसमें शिक्षकों की बात भी सुनी जाए और निर्णय सामूहिक स्तर पर हो।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top