📰 छात्र-शिक्षक अनुपात सुधारने के लिए सरकार का बड़ा कदम, मानदेय बढ़ोतरी पर फिलहाल विराम
लखनऊ। मंगलवार को विधान सभा प्रश्नकाल के दौरान बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि विद्यालयों के विलय के बाद 50 छात्रों पर दो शिक्षक और एक शिक्षामित्र की तैनाती होगी। उनका कहना था कि इस व्यवस्था से छात्र-शिक्षक अनुपात सुधरेगा और शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।
मंत्री ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने विलय व्यवस्था का राजनीतिकरण कर जनता को गुमराह किया है, जबकि सच्चाई यह है कि सरकार ने शिक्षा स्तर को ऊंचाई पर ले जाने के लिए कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं। वर्तमान में परिषदीय विद्यालयों में 1.48 करोड़ से अधिक छात्र नामांकित हैं, जिनको पढ़ाने के लिए 6.28 लाख से अधिक शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक तैनात हैं। प्राथमिक शिक्षा में अनुपात 30:1 और उच्च प्राथमिक में 35:1 है, जिसे संतुलित बनाए रखने पर सरकार जोर दे रही है।
📌 मानदेय बढ़ोतरी का मुद्दा
नौगांवा सादात से सपा विधायक समरपाल सिंह के सवाल पर मंत्री ने कहा कि शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने का कोई प्रस्ताव फिलहाल विचाराधीन नहीं है। उन्होंने बताया कि 2017 में मानदेय ₹3,500 से बढ़ाकर ₹10,000 किया गया था। इस दौरान सदन में हल्का-फुल्का हास्य भी हुआ, जब विधायक ने मुस्कुराते हुए कहा, “मंत्री जी, कल्याण सिंह भी शिक्षक थे, मानदेय बढ़ाने पर उनकी आत्मा आपको आशीर्वाद देगी।”
📌 विद्यालय विलय और सुविधाएं
मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि सरकार ने एक भी विद्यालय बंद करने का निर्णय नहीं लिया, बल्कि 1 किलोमीटर के दायरे और 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को संसाधनयुक्त विद्यालयों में जोड़ा गया है। खाली भवनों में प्री-प्राइमरी व नर्सरी कक्षाएं शुरू की जा रही हैं और अब तक 19,484 संविदा नियुक्तियां की गई हैं।
💧 जल जीवन मिशन पर गरमागरम बहस
सत्र के दौरान जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और बिलारी के सपा विधायक मोहम्मद फहीम इरफान के बीच जल जीवन मिशन को लेकर तीखी नोकझोंक हुई। विधायक ने आरोप लगाया कि कई गांवों में पानी नहीं पहुंच रहा। इस पर मंत्री ने चुनौती दी, “अपनी बीवी की कसम खाकर कहो कि पानी नहीं आ रहा, अगर सच हुआ तो मैं आज ही इस्तीफा दे दूंगा।”
विधायक ने भी पलटवार करते हुए कहा कि यदि जांच में आरोप गलत निकले तो वे भी इस्तीफा देंगे।
मंगलवार का विधान सभा सत्र शिक्षा सुधार, मानदेय, विद्यालय संसाधन और जल आपूर्ति जैसे अहम मुद्दों पर गरमागरम बहस और राजनीतिक तकरार से भरा रहा।