शिक्षकों का ₹87 का हक़ – 11 साल से अटका, अब सरकार के पाले में गेंद
प्रयागराज, 11 अगस्त 2025 —
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक कार्यालय से निकला एक आधिकारिक पत्र अब शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला उन हजारों शिक्षकों का है, जिन्हें 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्ति मिली और जिनके वेतन से वर्षों तक सामूहिक बीमा योजना के तहत ₹87 प्रतिमाह प्रीमियम काटा गया — लेकिन बीमा लाभ कभी लागू ही नहीं हुआ।
📌 क्या है मामला?
- 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त सभी शिक्षक/कर्मचारी इस बीमा योजना में स्वतः शामिल कर लिए गए।
- हर महीने ₹87 वेतन से कटता रहा, लेकिन योजना के नियमों में बदलाव के चलते कोई पॉलिसी कवर नहीं मिला।
- इस कटौती की रकम वापस करने का मामला सालों से लंबित है।
📜 अब तक की कार्यवाही
श्री शुभम मौर्य (शाहजहांपुर) ने IGRS पोर्टल (शिकायत संख्या 60000250168136) पर यह मुद्दा उठाया।
इसके जवाब में:
- वित्त नियंत्रक, बेसिक शिक्षा परिषद ने स्पष्ट किया कि बीमा प्रीमियम वापसी का प्रस्ताव 27 जून 2025 को शिक्षा निदेशक (बेसिक)/अध्यक्ष, बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा शासन को भेज दिया गया है।
- अब अंतिम निर्णय उत्तर प्रदेश शासन को करना है।
⚖️ सवाल जो उठते हैं
- जब योजना का लाभ लागू ही नहीं हुआ, तो शिक्षकों का पैसा 11 साल तक रोका क्यों गया?
- क्या ब्याज सहित राशि वापस दी जाएगी?
- क्या सरकार इस प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी, या मामला फिर वर्षों लटक जाएगा?
📢 “सरकारी कलम” की राय
यह मामला केवल ₹87 की रकम का नहीं है — यह प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता का मुद्दा है।
हर महीने यह छोटी सी रकम काटी गई, लेकिन न योजना चली, न समय पर वापसी हुई। अब जबकि प्रस्ताव शासन तक पहुंच चुका है, सरकार को तुरंत आदेश जारी कर देना चाहिए ताकि शिक्षकों का भरोसा बना रहे।
क्योंकि शिक्षक ही वह स्तंभ हैं, जिन पर भविष्य की नींव टिकती है — और उनका हक़ लौटाना सरकार का पहला कर्तव्य है।