🏫 अब बदलेगा एडेड स्कूलों का चेहरा: प्रोजेक्ट अलंकार में बड़ा बदलाव, CSR और पूर्व छात्रों से मिलेगा सहयोग


🏫 अब बदलेगा एडेड स्कूलों का चेहरा: प्रोजेक्ट अलंकार में बड़ा बदलाव, CSR और पूर्व छात्रों से मिलेगा सहयोग

🔖 सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट
📍 लखनऊ | 8 अगस्त 2025

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के कायाकल्प की दिशा में योगी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। अब इन स्कूलों की मरम्मत, निर्माण और आधारभूत सुविधाओं के लिए केवल स्कूल प्रबंधन ही नहीं, बल्कि पूर्व छात्र, जनप्रतिनिधि, CSR फंड और समाजसेवी भी आर्थिक सहयोग कर सकेंगे।

👉 कैबिनेट ने मंजूरी दी संशोधन को
माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा चलाई जा रही ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ योजना में 12 जून 2023 को संशोधन प्रस्तावित किया गया था, जिसे अब कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। संशोधन के तहत अब स्कूलों के जीर्णोद्धार में आने वाली कुल लागत का 25% हिस्सा विभिन्न वैकल्पिक स्रोतों से जुटाया जा सकेगा — जैसे:

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  • पूर्व छात्रों का योगदान
  • सांसद और विधायक निधि
  • कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड
  • स्थानीय समाजसेवी या संस्थाएं

🛠️ क्या है प्रोजेक्ट अलंकार?
प्रोजेक्ट अलंकार, माध्यमिक शिक्षा विभाग की वह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका मकसद है — प्रदेश के पुराने, जर्जर लेकिन मान्यता प्राप्त एडेड स्कूलों को फिर से सजाना-संवारना और छात्रों को एक बेहतर शिक्षण माहौल देना।

इस योजना के अंतर्गत पहले 75% राशि सरकार देती थी और 25% राशि स्कूल प्रबंधन द्वारा वहन की जाती थी। लेकिन ज़मीनी सच्चाई यह है कि कई स्कूल इतनी राशि जुटाने में असमर्थ थे, जिससे वे इस योजना से बाहर रह जाते थे।

📝 अब मिलेगा फंड जुटाने में लचीलापन
संशोधित नियमों के अनुसार, अब स्कूल प्रबंधन चाहे तो अपनी 25% हिस्सेदारी पूर्व छात्रों, जनप्रतिनिधियों या CSR कंपनियों से भी जुटा सकता है।
फंड जुटाने की प्रक्रिया पारदर्शी रखने के लिए स्कूलों को सहयोग करने वाले व्यक्ति या संस्था का सहमति पत्र जिलाधिकारी के माध्यम से डीआईओएस को देना होगा।

🎯 इस बदलाव के फायदे:
✅ ज्यादा स्कूल योजना से जुड़ सकेंगे
✅ स्थानीय समाज की भागीदारी बढ़ेगी
✅ पूर्व छात्रों को स्कूल से फिर से जोड़ा जाएगा
✅ विधायक-सांसद निधियों का बेहतर इस्तेमाल होगा
✅ CSR के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र में पूंजी प्रवाह बढ़ेगा

🎤 शिक्षाविदों की राय
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि यह निर्णय न केवल स्कूलों के कायाकल्प में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि इससे समाज के हर वर्ग को विद्यालयों के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में भागीदार बनने का अवसर मिलेगा।

👨‍🏫 “बहुत सारे स्कूल ऐसे हैं जो केवल 25% राशि ना जुटा पाने के कारण योजना से वंचित रह जाते थे। अब यह बाधा हटने से हजारों स्कूलों को दोबारा नया जीवन मिलेगा।”
राजेश तिवारी, वरिष्ठ शिक्षक एवं शिक्षक संघ पदाधिकारी


🧾 सरकारी कलम की टिप्पणी

सरकार का यह निर्णय समय की मांग थी। यदि इसे ज़मीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू किया जाए तो यूपी के एडेड स्कूल भी निजी स्कूलों को टक्कर दे सकते हैं। “प्रोजेक्ट अलंकार” अब सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि शिक्षा सुधार की जन-आंदोलन बनने की क्षमता रखता है।


✍️ लेखक: सरकारी कलम टीम
🌐 और पढ़ें: www.sarkarikalam.com


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