15 अगस्त तक देना होगा हिसाब – बिना मान्यता स्कूलों पर बेसिक शिक्षा विभाग की सख्ती

15 अगस्त तक देना होगा हिसाब – बिना मान्यता स्कूलों पर बेसिक शिक्षा विभाग की सख्ती

📍 लखनऊ | सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट

प्रदेश में चल रहे कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) की प्रक्रिया के बीच अब बिना मान्यता के चल रहे निजी विद्यालयों पर भी बेसिक शिक्षा विभाग ने शिकंजा कस दिया है। शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने सभी जिलों के बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) और बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं – बिना मान्यता स्कूल पाए जाने पर सीधी जवाबदेही अधिकारियों की होगी।


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⚠️ बिना मान्यता स्कूलों पर अब ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति

बेसिक शिक्षा निदेशक द्वारा सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशकों और बीएसए को भेजे गए निर्देशों के अनुसार:

🔹 सभी जिलों में बिना मान्यता चल रहे स्कूलों की जांच अनिवार्य रूप से कराई जाए
🔹 15 अगस्त 2025 तक कार्रवाई की रिपोर्ट उपलब्ध कराना अनिवार्य है
🔹 अगर उस जिले में कोई अवैध स्कूल संचालन में पाया गया, तो उसकी सीधी जिम्मेदारी बीएसए और बीईओ की मानी जाएगी


📋 इन जिलों ने अब तक नहीं भेजी रिपोर्ट

बेसिक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया कि 1 जुलाई को जारी निर्देशों के बावजूद अधिकांश जिलों ने रिपोर्ट नहीं सौंपी है। सिर्फ कुछ ही जिलों
अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, बलरामपुर, रायबरेली, अयोध्या, सीतापुर, चित्रकूट, फिरोजाबाद, सिद्धार्थनगर, कौशांबी, फर्रुखाबाद, मिर्जापुर, पीलीभीत, उन्नाव, बिजनौर, संतकबीरनगर, झांसी, लखीमपुर खीरी, औरैया, मैनपुरी और फतेहपुर – ने ही रिपोर्ट भेजी है।

बाकी जिलों की चुप्पी को ‘गंभीर लापरवाही’ मानते हुए विभाग ने चेतावनी दी है कि अब सिर्फ जवाब नहीं, बल्कि कार्रवाई अपेक्षित है।


🎯 संदेश साफ है: या तो बंद करो, या मान्यता लो!

प्रदेश भर में हजारों ऐसे स्कूल खुले हैं जो न तो शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हैं, और न ही इनमें शिक्षा का न्यूनतम स्तर है। ये न केवल छात्रों का भविष्य खतरे में डालते हैं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की साख को भी चोट पहुंचाते हैं।

अब विभाग का रुख साफ है –

“या तो मान्यता लो, या ताले लगाओ।”


🧾 सरकारी कलम की टिप्पणी

प्रदेश सरकार का यह कदम निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था में जड़े जमाए बिना मान्यता वाले विद्यालयों को हटाना जरूरी था। लेकिन ज़रूरत इस बात की भी है कि बीएसए व बीईओ जैसे अधिकारी अपने दायित्वों से भागें नहीं, क्योंकि अक्सर इन्हीं की मिलीभगत से ऐसे स्कूल फलते-फूलते हैं।

अगर 15 अगस्त तक सख्ती से कार्रवाई होती है, तो यह दिन न सिर्फ देश की आज़ादी का, बल्कि बच्चों की शिक्षा को भी आज़ाद करने का दिन बन सकता है।


✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम
🌐 और पढ़ें: www.sarkarikalam.com


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