🎒 15 अगस्त से प्रदेश के 7000 विद्यालयों में बालवाटिका की शुरुआत 🌱

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🎒 15 अगस्त से प्रदेश के 7000 विद्यालयों में बालवाटिका की शुरुआत 🌱

📍 लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की नई पहल के तहत, राज्य के लगभग 7000 विद्यालय, जो विद्यालय विलय (पेयरिंग) के कारण खाली हो रहे हैं, उनमें अब बालवाटिका (Preschool) की शुरुआत की जाएगी। यह योजना 15 अगस्त 2025 से लागू होगी, जिससे 5 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से जोड़ा जा सकेगा।


🏫 विद्यालय बंद नहीं, होंगे नए रूप में चालू!

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बुधवार को सभी बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से निर्देश जारी करते हुए कहा:

“कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि खाली हो रहे स्कूलों में बालवाटिका चलाई जाएगी।”

इस पहल में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की भी भागीदारी रहेगी।

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🧹 विद्यालयों की तैयारियों के लिए 1 सप्ताह का अल्टीमेटम 🛠️

महानिदेशक ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि खाली हो चुके विद्यालयों में एक सप्ताह के अंदर:

  • साफ-सफाई
  • रंग-रोगन
  • मरम्मत कार्य
  • खेल सामग्री, स्टेशनरी, फोम वाली दरी, कलर-पेंसिल आदि की खरीद

कॉम्पोजिट ग्रांट से पूरी की जाए।


🇮🇳 बालवाटिका का शुभारंभ 15 अगस्त को झंडारोहण के साथ 🎈

महानिदेशक ने सभी बीएसए को निर्देश दिया कि 15 अगस्त के दिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के हाथों झंडारोहण करवाया जाए और उसी दिन बालवाटिका का शुभारंभ किया जाए।


👩‍🏫 शिक्षक-छात्र अनुपात और समायोजन भी होगा सख्ती से लागू

शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि विद्यालयों के समायोजन, शिक्षकों की तैनाती और शिक्षक-छात्र अनुपात को संतुलित करने के निर्देश भी समयबद्ध तरीके से पूरे किए जाएं।


🔍 पृष्ठभूमि: क्यों जरूरी थी ये पहल?

हाल ही में राज्य सरकार द्वारा कम नामांकन वाले स्कूलों का आपसी विलय (पेयरिंग) किया जा रहा है। इससे हजारों विद्यालय खाली हो रहे थे। अब इन स्कूलों का सृजनात्मक पुन: उपयोग कर बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा दी जाएगी — जिससे:

  • शिक्षा का अधिकार कानून को बल मिलेगा
  • पूर्व-प्राथमिक शिक्षा को नया प्लेटफॉर्म मिलेगा
  • संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित होगा

📌 निष्कर्ष

प्रदेश सरकार की यह पहल न केवल शिक्षा के अधिकार को मजबूत करती है, बल्कि बंद होने की कगार पर पहुंचे विद्यालयों को नवजीवन देने का काम भी करेगी। देखना यह होगा कि प्रशासन और स्थानीय समाज इस योजना को जमीनी स्तर पर कितनी मजबूती से लागू कर पाता है।

📢 “सरकारी कलम” इस अभियान को नज़र बनाए रखेगा और हर अपडेट आप तक पहुँचाएगा।


क्या आप इस विषय पर अपने जिले की तैयारी की जानकारी साझा करना चाहेंगे? ✍️
कमेंट या मेल करें: 📩 editor@sarkarikalam.com

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