🏫 खाली हो रहे स्कूलों में बालवाटिका और ठहरी हुई शिक्षक भर्ती: शिक्षा व्यवस्था का दोहरा चेहरा
🔸 लेख: सरकारी कलम टीम द्वारा
🔸 तारीख: 7 अगस्त 2025
🎯 बालवाटिका की तैयारी: शिक्षा विभाग का सकारात्मक कदम
उत्तर प्रदेश में स्कूल विलय (पेयरिंग) के बाद जो हज़ारों विद्यालय खाली हो रहे हैं, उन्हें पूरी तरह बंद करने के बजाय वहाँ बालवाटिका (प्री-स्कूल) शुरू करने की योजना बनाई गई है।
15 अगस्त से इन स्कूलों में 5 से 6 साल के बच्चों के लिए बालवाटिकाएं शुरू की जाएंगी। यह निश्चित रूप से एक सराहनीय निर्णय है, जो कि इन परिसरों के बेहतर उपयोग और प्रारंभिक बाल शिक्षा को बढ़ावा देगा।
📌 महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को आदेशित किया है कि वे स्कूलों की सफाई, रंगाई-पुताई, मरम्मत, खेल सामग्री व स्टेशनरी की व्यवस्था करें और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में झंडारोहण के साथ बालवाटिका की शुरुआत करें।
यह योजना यदि ज़मीन पर ईमानदारी से लागू की जाए, तो प्रदेश में अंग्रेज़ी माध्यम प्राइवेट नर्सरी स्कूलों की एकाधिकारवादी स्थिति को भी चुनौती मिल सकती है।
🚨 दूसरी तरफ़ – शिक्षक भर्ती की धीमी रफ्तार
जहाँ एक ओर सरकार स्कूलों में छोटे बच्चों को लाने की योजना बना रही है, वहीं दूसरी तरफ़ अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों (Non-Govt. Aided Schools) में शिक्षकों की भर्ती का कोई ठोस खाका नहीं दिख रहा।
TGT-PGT के 30,000 से ज़्यादा पद खाली हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को आज तक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से रिक्तियों का सही विवरण नहीं भेजा गया है।
📅 शिक्षा निदेशक ने 5 अगस्त तक सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS) को मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियाँ भेजने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक स्थिति साफ़ नहीं है। परिणामस्वरूप, योग्य अभ्यर्थी उम्र सीमा में छूट की माँग लेकर उच्च शिक्षा मंत्री से मिलने तक जा रहे हैं।
⚖️ विरोधाभास: स्कूलों में जगह है, बच्चे लाए जा रहे हैं… लेकिन शिक्षक कहाँ हैं?
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहाँ सरकार नई भर्तियों के लिए “दृढ़ इच्छाशक्ति” का संदेश देना चाहती है, वहीं धरातल पर भर्ती की मूल प्रक्रिया ही लटकाई और अटकाई जा रही है।
- राजकीय विद्यालयों में LT ग्रेड के 7466 पदों पर भर्ती का विज्ञापन आ चुका है।
- प्रवक्ता (PGT) के 1500 पदों पर विज्ञापन इसी माह संभावित है।
- लेकिन अशासकीय विद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह ठप है।
क्या यह शिक्षा के निजीकरण की चुपचाप होती कोशिश है?
क्या सरकार चाहती है कि अशासकीय विद्यालय शिक्षकविहीन होकर खुद बंद हो जाएं?
🧾 सरकारी कलम की राय:
✅ बालवाटिका का निर्णय दूरदर्शी है, परंतु
❌ शिक्षक भर्ती में सुस्ती शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर रही है।
सरकार को चाहिए कि भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाए, ताकि न केवल शिक्षकों को रोज़गार मिले, बल्कि बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा भी मिल सके।
📣 आपकी क्या राय है?
क्या बालवाटिका में बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी?
क्या भर्ती प्रक्रिया में देरी से योग्य युवाओं का मनोबल नहीं टूट रहा?
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