✊ पुरानी पेंशन की मांग को लेकर शिक्षकों का सचिव कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन


✊ पुरानी पेंशन की मांग को लेकर शिक्षकों का सचिव कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन

📍 संयुक्त समायोजित शिक्षक संघ के बैनर तले जुटे प्रदेशभर के शिक्षक

🗓️ लखनऊ | 5 अगस्त 2025
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए शिक्षकों ने सोमवार को राजधानी लखनऊ स्थित सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद कार्यालय का घेराव किया और पुरानी पेंशन बहाली को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। ये शिक्षक पहले शिक्षामित्र के रूप में कार्यरत थे और बाद में सहायक अध्यापक के रूप में समायोजित हुए थे। इनकी नियुक्ति 28 मार्च 2005 से पूर्व के पदों पर हुई थी, जिसे लेकर अब ये पुरानी पेंशन योजना (OPS) की मांग कर रहे हैं।

👥 प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सिंह ने बताया कि शासन की ओर से 28 जून 2024 को जारी आदेश के अनुसार 2005 से पूर्व विज्ञापित पदों पर नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन का विकल्प पत्र देने का अधिकार है। बावजूद इसके, अधिकांश जिलों में अभी तक विकल्प पत्र भरवाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

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📢 नाराज शिक्षक बोले – “विकल्प नहीं, अब अधिकार चाहिए!”
प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि यह उनके अधिकारों का हनन है। यदि सरकार ने आदेश जारी किया है तो अधिकारियों को तत्काल पालन कराना चाहिए।

💼 संयुक्त सचिव मोहम्मद अल्ताफ ने मौके पर पहुंचकर शिक्षकों की बात सुनी और ज्ञापन स्वीकार करते हुए कहा कि “सभी मांगों को सक्षम अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा और उचित दिशा-निर्देश जारी कराए जाएंगे।”

📍 कई जिलों में आदेश, लेकिन कार्रवाई नहीं
कौशांबी, बस्ती, बलरामपुर, बांदा, चित्रकूट, गोरखपुर, जौनपुर, चंदौली, अमेठी, रायबरेली जैसे कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) ने विकल्प पत्र भरवाने संबंधी आदेश तो जारी कर दिए हैं, लेकिन कुछ जिलों ने सचिव से मार्गदर्शन मांगा है। सचिव की ओर से निर्देश न मिलने के कारण अधिकांश जिलों में अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी है।

👥 इस प्रदर्शन में शामिल प्रमुख शिक्षक प्रतिनिधि:

  • भूपेंद्र यादव (चंदौली)
  • गुरुचरण (बस्ती)
  • गिरिजाशंकर शुक्ला (चित्रकूट)
  • एवं अन्य जिलों के सैकड़ों शिक्षक

📝 सरकारी कलम की राय:
शिक्षकों की यह मांग पूरी तरह जायज है। यदि सरकार खुद पुराने पदों पर नियुक्त कार्मिकों को OPS का विकल्प देने की अनुमति दे रही है, तो निचले स्तर पर देरी और असमंजस शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह तत्काल स्पष्ट निर्देश जारी करे और शिक्षकों के हितों की रक्षा करे।

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