🏫 यूपी के परिषदीय स्कूलों की बदहाली पर सीएम योगी सख्त: जर्जर स्कूलों का होगा फिजिकल ऑडिट, दोषियों की तय होगी जवाबदेही!

🏫 यूपी के परिषदीय स्कूलों की बदहाली पर सीएम योगी सख्त: जर्जर स्कूलों का होगा फिजिकल ऑडिट, दोषियों की तय होगी जवाबदेही!

🗓 5 अगस्त 2025 | सरकारी कलम डेस्क

उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों की दयनीय हालत को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य के सभी जिलाधिकारियों (DM) और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को स्कूलों की इमारतों और मूलभूत सुविधाओं का भौतिक सत्यापन करने और जमीनी हालात सुधारने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।

यह सख्त निर्देश राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुई बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को स्कूलों की सुरक्षा ऑडिट करने के आदेश के बाद जारी किया गया।


Table of Contents

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🏗️ क्या है मुख्यमंत्री का निर्देश?

🔸 जर्जर भवनों वाले स्कूलों से बच्चों को तुरंत हटाया जाए
🔸 अस्थायी स्थानों पर पढ़ाई की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए
🔸 स्कूलों में पेयजल, शौचालय, बिजली, फर्नीचर, रंगाई-पुताई, रैम्प और बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित हो
🔸 ऑपरेशन कायाकल्प की प्रगति की समीक्षा की जाए
🔸 स्कूलों में सफाई और मरम्मत कार्यों को प्राथमिकता दी जाए
🔸 उत्तरदायी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए

मुख्यमंत्री ने साफ कहा:

“स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जर्जर भवनों और अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”


📉 चौंकाने वाले पुराने आंकड़े

2017 से पहले राज्य के 7500 स्कूलों में ही पुस्तकालय थे, और बालिकाओं के लिए शौचालय मात्र 33.9% विद्यालयों में मौजूद थे। अब सरकार का लक्ष्य है कि सभी स्कूलों को सुरक्षित और सुविधायुक्त बनाया जाए।


❌ मर्जर प्रक्रिया पर भी लगी लगाम

बेसिक शिक्षा विभाग अब एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले और 50 से ज्यादा बच्चों की संख्या वाले स्कूलों का विलय (पेयरिंग) निरस्त करने जा रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार:

  • लगभग 2000 से 3000 स्कूलों का मर्जर निरस्त होगा
  • सबसे ज्यादा निरस्तीकरण दूरी के मानक उल्लंघन के कारण होंगे
  • स्थानीय अधिकारियों की मनमानी और बिना भौतिक सत्यापन के विलय को लेकर सवाल उठे हैं

📰 मीडिया की भूमिका

‘अमर उजाला’ द्वारा प्रदेशभर में स्कूलों की दयनीय दशा पर चलाए गए अभियान के बाद शासन की नींद खुली। अखबार में प्रकाशित 31 जुलाई और 1 अगस्त की रिपोर्टों ने शिक्षा विभाग और सरकार का ध्यान जर्जर विद्यालयों की ओर खींचा।


🧾 निष्कर्ष

यह निर्णय निश्चित रूप से बच्चों की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में एक जरूरी कदम है। लेकिन यह भी जरूरी है कि भौतिक सत्यापन और सुधार कार्य कागजों तक सीमित न रहकर ज़मीन पर उतरें।

शिक्षा केवल नामांकन बढ़ाकर नहीं, बल्कि सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल देकर सशक्त बनती है।


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✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम

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