इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश — “एक को NHAI भेजा, दूसरे को क्यों नहीं?”, सरकार को लगाई फटकार, 10 दिन में दे NOC!
✍️ “एक को NHAI भेजा, दूसरे को क्यों नहीं?”
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: समान कर्मचारियों से हो समान व्यवहार, राज्य सरकार को 10 दिन में देनी होगी NOC
🔹 लखनऊ — इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिशासी अभियंता मो. फिरदौस रहमानी को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) में प्रतिनियुक्ति के लिए 10 दिन में NOC जारी की जाए।
👉 कोर्ट ने यह भी कहा कि एक कल्याणकारी राज्य के रूप में सरकार को समान कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
🔎 मामला क्या है?
अधिशासी अभियंता मो. फिरदौस रहमानी ने NHAI में DGM (तकनीकी) के पद पर प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था।
उनका चयन 21 मार्च 2025 को हो चुका है, लेकिन PWD विभाग उन्हें अनावश्यक रूप से एनओसी देने में देरी कर रहा था।
👉 याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने तर्क दिया कि—
- एक अन्य अभियंता सुधीर कुमार भारद्वाज को भी इसी पद के लिए विभाग ने NOC दी थी।
- लेकिन उनका चयन नहीं हो पाया।
- जबकि रहमानी का चयन हो चुका है, फिर भी उन्हें रोका जा रहा है।
🤔 सरकार का पक्ष:
राज्य सरकार ने कहा कि विभाग में पहले से अधिशासी अभियंताओं की कमी है।
सुधीर कुमार पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर हैं, इसलिए और किसी को अनुमति नहीं दी जा सकती।
⚖️ कोर्ट का जवाब:
जस्टिस मनीष माथुर की एकल पीठ ने कहा कि—
“जब एक कर्मचारी को उसी पद पर प्रतिनियुक्ति की अनुमति दी गई थी, तो दूसरे को क्यों नहीं? यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह राज्य सरकार का विभेदकारी रवैया है, जिसे तुरंत सुधारा जाना चाहिए।
📝 आदेश:
- 10 दिन के भीतर प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग को NOC जारी करनी होगी।
- जिससे याची NHAI में प्रतिनियुक्ति पर ज्वॉइन कर सकें।
📌 निष्कर्ष:
यह फैसला उन सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरा है जो समान योग्यता और चयन के बावजूद विभेद का सामना कर रहे हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि न्याय केवल चयन में नहीं, बल्कि अवसर की समानता में भी निहित है।