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: “स्कूल हादसे ने झकझोरा देश को: सुरक्षा ऑडिट की उठी ज़रूरत, केंद्र ने दिए सख्त निर्देश”
📍 लेख स्थान: झालावाड़, राजस्थान | दिनांक: 27 जुलाई 2025
राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह हादसा न केवल एक प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम था, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था में मौजूद खतरनाक खामियों को भी उजागर करता है। घटना के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल प्रभाव से छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं।
🛑 केंद्र सरकार के सख्त निर्देश
भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों को निर्देशित किया है कि बच्चों के इस्तेमाल में आने वाली सभी शैक्षणिक और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) और आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाए।
इन निर्देशों में शामिल हैं:
- 🧯 अग्नि सुरक्षा और आपातकालीन निकास की जांच
- 🔌 विद्युत वायरिंग और संरचनात्मक मजबूती का मूल्यांकन
- 🏥 छात्रों व स्टाफ को प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण, निकासी ड्रिल
- 🤝 स्थानीय एजेंसियों (NDMA, पुलिस, मेडिकल, फायर सर्विस) के साथ मॉक ड्रिल
- 🧠 बच्चों को मानसिक सहयोग देने के लिए काउंसलिंग और सहकर्मी नेटवर्क की व्यवस्था
💔 झालावाड़ हादसे का दर्द
पिपलोदी गांव में स्थित एक सरकारी स्कूल की छत शुक्रवार को अचानक गिर पड़ी, जिसमें छह साल का कान्हा और बारह साल की मीना की मौके पर ही मौत हो गई। यह दोनों भाई-बहन उसी स्कूल में पढ़ते थे।
घटना के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है। मृतक बच्चों की मां ने बिलखते हुए कहा,
“मेरे दो ही बच्चे थे, दोनों चले गए। मेरा घर सूना हो गया।”
🙏 नैतिक जिम्मेदारी ली मंत्री ने
राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस हादसे की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि अब राज्य में जितने भी असुरक्षित स्कूल भवन हैं, उनकी जल्द मरम्मत की जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हादसा जिस स्कूल में हुआ, उसका नाम विभाग द्वारा तैयार की गई जर्जर भवनों की सूची में नहीं था।
🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया। वहीं राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस हादसे पर दुख जताया और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की।
🧠 सवाल उठते हैं…
- क्या यह हादसा रोका जा सकता था यदि समय पर भवन का ऑडिट होता?
- क्या स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह हैं, या बच्चों की जान की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए?
- क्या राज्यों के शिक्षा विभाग ऐसे हादसों से सबक लेंगे या फिर यह सिर्फ एक और आंकड़ा बनकर रह जाएगा?
✍️ निष्कर्ष:
शिक्षा का अधिकार केवल स्कूल में दाखिला भर नहीं है, बल्कि सुरक्षित वातावरण में शिक्षा पाने का अधिकार भी है। सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि अगली मीना और कान्हा की जान लापरवाही की भेंट न चढ़े।
📢 #सरकारीकलम की अपील:
हर स्कूल की सुरक्षा का ऑडिट अभी कराएं, ताकि कल कोई मां यूँ बिलखने को मजबूर न हो।
✍️ रिपोर्टर: सरकारी कलम विशेष संवाददाता
🌐 www.sarkarikalam.com