परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को   IIT कानपुर में डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और AI की ट्रेनिंग की महत्वाकांक्षी योजना शुरू परन्तु जमीनी हकीकत लाइट तक नहीं है देखिए विशेष रिपोर्ट

🖥️ सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट: डिजिटल शिक्षा का नारा, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और!

उत्तर प्रदेश सरकार ने परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। योजना के तहत हर जिले से 10-10 उत्कृष्ट शिक्षकों को चुनकर उन्हें IIT कानपुर में डिजिटल साक्षरता, कोडिंग और AI की ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही DIET के प्राचार्यों और प्रवक्ताओं को IIM अहमदाबाद भेजा जाएगा ताकि उनकी लीडरशिप क्षमता विकसित हो सके।

📊 योजना का आंकड़ा:

  • 750 शिक्षक IIT कानपुर में आवासीय ट्रेनिंग
  • 44,000 शिक्षक पहले ही डिजिटल ट्रेनिंग पा चुके हैं
  • कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में शामिल हुआ है AI और कोडिंग

📣 लेकिन सवाल ये है कि…

सरकार द्वारा इतने बड़े पैमाने पर आधुनिक तकनीक पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना सराहनीय ज़रूर है, परंतु यह कदम तब विवादों में घिर जाता है जब ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में आज भी बिजली, इंटरनेट, स्मार्ट क्लास या कंप्यूटर तक नहीं हैं

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❓ क्या यह सिर्फ “Optics” है?

  • IIT से ट्रेनिंग की योजना तब खोखली लगती है जब बच्चों के पास डेस्क-कुर्सी तक नहीं होती
  • जब स्कूल मर्जर की नीतियों से गांवों के स्कूल खत्म हो रहे हैं, तब डिजिटल क्रांति की बात दोगली नीति जैसी लगती है।
  • प्रशिक्षित शिक्षक अगर लौटकर भी पुराने ढांचे, खराब बिजली व्यवस्था और उपकरणों की कमी में फंस जाएं, तो यह ट्रेनिंग कितनी प्रभावी होगी?

🎙️ ज़मीनी हकीकत:

👉 लखीमपुर खीरी, सोनभद्र, चंदौली जैसे जिलों में आज भी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है।

👉 कई स्कूलों में बिजली नहीं, इंटरनेट नहीं, और कहीं कमरे टूटे हुए, शौचालय गंदे, तो कहीं मिड-डे मील में घोटाले हैं।

👉 स्कूलों को बंद करके मर्जर किया जा रहा है, जिससे गांवों के बच्चों की पहुंच दूरस्थ स्कूलों तक कठिन होती जा रही है।


💬 शिक्षक बोलते हैं:

“सरकार कहती है हम IIT में ट्रेनिंग दे रहे हैं, लेकिन हमारे स्कूल में तो प्रोजेक्टर चलाने के लिए इन्वर्टर तक नहीं है। AI का क्या करेंगे?”


🚨 निष्कर्ष:

IIT-IIM ट्रेनिंग योजना, अगर ज़मीनी स्तर पर मूलभूत ढांचे के साथ नहीं जोड़ी गई, तो ये सिर्फ एक ‘PR स्टंट’ बनकर रह जाएगी।

सरकार को चाहिए कि पहले:

  • सभी स्कूलों को बिजली, इंटरनेट, लैपटॉप/टैबलेट से लैस करे
  • हर जिले में तकनीकी सहायक नियुक्त करे
  • बच्चों के लिए एक स्थायी डिजिटल कोर्स सामग्री विकसित करे

तभी IIT-trained शिक्षक अपना ज्ञान बच्चों तक पहुंचा सकेंगे।


✍️ सरकारी कलम पर हम ऐसे ही मुद्दों की तह तक जाकर सच्चाई सामने लाते हैं।

🔁 शेयर करें अगर आप भी चाहते हैं कि डिजिटल भारत की नींव सच में मजबूत हो, सिर्फ दिखावा न हो!

📌 पढ़ते रहिए www.sarkarikalam.comअसली सवाल उठाने वाला मंच।

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