⚖️ सुप्रीम कोर्ट की ईडी को फटकार: “वकीलों को समन भेजना हद से बाहर”, राजनीतिकरण से बचने की नसीहत

⚖️ सुप्रीम कोर्ट की ईडी को फटकार: “वकीलों को समन भेजना हद से बाहर”, राजनीतिकरण से बचने की नसीहत
📰 सरकारी कलम न्याय विशेष रिपोर्ट | 20 जुलाई 2025
✍️ रिपोर्ट: टीम सरकारी कलम


📍 नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा वरिष्ठ वकीलों को समन भेजे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आपत्ति जताई है और इसे संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन करार दिया है। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ईडी ने अपनी सीमाएं पार की हैं, और अब इस पर दिशा-निर्देश तय होना अनिवार्य है।


⚖️ किस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया?

ED द्वारा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों —

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  • अरविंद दातार और
  • प्रताप वेणुगोपाल
    को समन भेजा गया था। यह समन उस संदर्भ में था जिसमें वे किसी घोटाले के आरोपी के वकील के रूप में पेश हुए थे।

इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की।


🧑‍⚖️ सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियां

🗣️ CJI जस्टिस बीआर गवई ने कहा:

“वकील और मुवक्किल के बीच संवाद को विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
वकीलों को समन भेजने से वकालत पेशे की स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
यह बेहद चिंताजनक है और अब इस बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश बनाए जाने चाहिए।


⚠️ क्या कहा कोर्ट ने ईडी के रवैये पर?

  • ईडी तर्कपूर्ण हाईकोर्ट फैसलों को भी बिना कारण चुनौती दे रही है।
  • सरकारें और ईडी दोनों अदालतों का राजनीतिकरण करने से बचें।
  • वरिष्ठ अधिवक्ताओं को समन भेजना संविधान में मिले पेशेवर विशेषाधिकारों पर हमला है।

📺 मीडिया और आख्यानों पर क्या कहा?

जब एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि मीडिया में “आख्यान” गढ़े जा रहे हैं जो ईडी की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो:

🗣️ CJI गवई बोले:

“हम यूट्यूब या मीडिया नहीं देखते।
हमारे फैसले तथ्यों और कानून पर आधारित होते हैं, आख्यानों पर नहीं।”

🗣️ जस्टिस के. विनोद चंद्रन बोले:

“आप यह नहीं कह सकते कि हम इन आख्यानों से प्रभावित होते हैं। हम उन्हें देखते ही नहीं।”


🛡️ सरकारी कलम की टिप्पणी:

ईडी जैसी संस्था का काम देश के आर्थिक अपराधों पर कार्रवाई करना है, लेकिन जब ऐसी संस्थाएं अपनी शक्ति का उपयोग संवैधानिक अधिकारों या पेशेवर स्वतंत्रता के दमन के लिए करती हैं, तो वह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी बन जाती हैं।


📌 आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि
👉 वकीलों के अधिकारों की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे।
👉 यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कानूनी पेशे को राजनीतिक टूल के रूप में इस्तेमाल न किया जाए।


📣 जनता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जरूरी है कि जांच एजेंसियों की जवाबदेही तय हो। कानून के रक्षक स्वयं कानून के शिकार न बनें।


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