⚖️ आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र वैध विवाह का प्रमाण नहीं: हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति याचिका की खारिज
लखनऊ।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल आर्य समाज मंदिर का विवाह प्रमाणपत्र वैध वैवाहिक संबंध का कानूनी साक्ष्य नहीं है। इसी तरह, सिर्फ स्टांप पेपर पर तलाक का दावा भी मान्य नहीं है, जब तक उसे अदालत की वैध डिक्री से प्रमाणित न किया गया हो।
यह निर्णय न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने कृषि विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के दावे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
🧾 क्या था मामला?
- एक महिला ने दावा किया कि कृषि विभाग में कार्यरत व्यक्ति (जो अब मृत है) से उसने विवाह किया था।
- उसके अनुसार, मृतक का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था और फिर 2021 में आर्य समाज मंदिर में उसका विवाह हुआ था।
- महिला ने मृतक की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की, जिसे विभाग ने 5 अप्रैल को खारिज कर दिया।
- इस फैसले को महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
🏛️ हाईकोर्ट ने क्या कहा?
- तलाक का प्रमाण नहीं दिया गया
- तलाक सिर्फ स्टांप पेपर पर दर्ज कर लेना वैध नहीं है।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के अनुसार तलाक के लिए अदालत की डिक्री (court decree) जरूरी है।
- याची महिला तलाक का कोई वैध आदेश प्रस्तुत नहीं कर सकी।
- आर्य समाज प्रमाणपत्र पर्याप्त नहीं
- विवाह का प्रमाण सिर्फ आर्य समाज मंदिर का प्रमाणपत्र होने से वैवाहिक संबंध कानूनन प्रमाणित नहीं होते।
- विवाह को मान्यता तभी मिलेगी जब विवाह की सभी वैधानिक शर्तें पूरी हों।
- सेवा रिकॉर्ड में कोई नामांकन नहीं
- मृतक कर्मचारी की सर्विस बुक या नामिनी दस्तावेज़ों में महिला का कोई उल्लेख नहीं था, जिससे उसका दावा कमजोर हुआ।
📌 कोर्ट का निष्कर्ष:
“जब तक वैवाहिक संबंध और तलाक की वैध प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक कोई अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता।”
— हाईकोर्ट, लखनऊ पीठ
इस आधार पर कोर्ट ने महिला की याचिका को अयोग्य ठहराते हुए खारिज कर दिया।
📚 कानूनी विशेषज्ञों की राय:
इस निर्णय को एक महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है, जो उन मामलों में मार्गदर्शक सिद्ध होगा जहां
- विवाह प्रमाण की वैधता पर प्रश्न उठता है,
- या अनुकंपा नियुक्ति के लिए केवल गैर-प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर दावा किया जाता है।