♿ दिव्यांग बच्चों को शिक्षा और यात्रा में राहत, सरकार ने दिए सर्वे और सीट आरक्षण के आदेश
✍️ संवाददाता – सरकारी कलम
📍 लखनऊ | 19 जुलाई 2025
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विलय (मर्जिंग) से प्रभावित दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए बड़ा फैसला लिया है।
👉 अब इन विद्यालयों में पढ़ने वाले दिव्यांग छात्रों का राज्यस्तरीय सर्वेक्षण कराया जाएगा, जिससे उनकी समस्याओं को समझकर आवागमन की वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
यह निर्णय दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंत्री नरेंद्र कश्यप ने राज्य सलाहकार बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिया।
🏫 मर्जिंग के कारण दिव्यांग बच्चों को परेशानी न हो
बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश दिए गए हैं कि:
🔹 जिन स्कूलों का मर्जर हुआ है, वहां पढ़ने वाले दिव्यांग छात्रों की संख्या और समस्याएं दर्ज की जाएं।
🔹 यदि दूरी बढ़ी है तो उनके लिए आवागमन की विशेष व्यवस्था (जैसे पिक-ड्रॉप सुविधा) की जाए।
🔹 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति को शीघ्र पूरा किया जाए ताकि दिव्यांग छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
🚌 रोडवेज बसों में अब अधिक सीटें आरक्षित होंगी
👉 मंत्री कश्यप ने परिवहन विभाग को निर्देश दिए हैं कि:
✅ दिव्यांगजनों की अधिकता वाले रूट्स पर चार से अधिक सीटें आरक्षित की जाएं।
✅ ड्राइवर-कंडक्टर को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे दिव्यांग यात्रियों को बस में चढ़ने-उतरने में मदद करें।
✅ 40% या उससे अधिक दिव्यांगता वाले यात्रियों को निशुल्क यात्रा की सुविधा जारी रहेगी।
🧑🏫 शिक्षा और वेबसाइटों को दिव्यांग-फ्रेंडली बनाया जाएगा
📌 माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने का आदेश मिला है कि:
🔹 दिव्यांग छात्रों को आरक्षण के अनुसार निशुल्क प्रवेश और अन्य सुविधाएं मिलें।
🔹 आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग सभी सरकारी वेबसाइटों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाए।
✅ क्या-क्या हो चुका है इस साल?
योजना उपलब्धि 🪙 पेंशन वितरण 10.41 लाख दिव्यांगों को पेंशन भेजी गई 🧍 कृत्रिम अंग 10,229 उपकरण वितरित 🧠 बचपन डे-केयर 3-7 वर्ष के विशेष बच्चों को शिक्षा 🧑⚕️ शल्य चिकित्सा 165 दिव्यांगों को लाभ 🏬 दुकान आवंटन नगर निकायों व औद्योगिक क्षेत्रों में दिव्यांगों को प्राथमिकता
📣 सरकारी कलम की राय:
🔍 यह एक सकारात्मक पहल है जो यह सुनिश्चित करती है कि शिक्षा का अधिकार सबको समान रूप से मिले, चाहे वह विशेष आवश्यकता वाला बच्चा ही क्यों न हो।
💬 मगर अब ज़रूरत है नीतियों को ज़मीन पर उतारने की! सर्वेक्षण के बाद कार्रवाई में देरी नहीं होनी चाहिए।
📢 क्या आपके विद्यालय में दिव्यांग छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लिया जाता है?
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