सरकारी नौकरी में पति-पत्नी की एक ही जिले में तैनाती अनिवार्य नहीं: हाईकोर्ट
🖊️ सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट | लखनऊ
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक अहम कानूनी आदेश सामने आया है, जो सरकारी कर्मचारियों के तबादलों की नीति से जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्पष्ट किया है कि अगर पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं, तो उनकी एक ही जनपद में तैनाती अनिवार्य नहीं है।
🧑⚖️ क्या कहा हाईकोर्ट ने?
यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने दिया। उन्होंने कहा:
“राज्य सरकार की ट्रांसफर नीति में ‘यथासंभव’ शब्द का उपयोग यह दर्शाता है कि एक ही जनपद में तैनाती की बात कोई कठोर नियम नहीं है, बल्कि यह केवल एक प्रशासनिक प्राथमिकता है।“
⚖️ मामला क्या था?
याचिकाकर्ता अमित मिश्रा, जो कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) में पर्यावरण अभियंता के पद पर कार्यरत हैं, का जून 2022 में लखनऊ से कानपुर तबादला किया गया था।
- उनकी पत्नी पहले से कानपुर में सरकारी सेवा में कार्यरत थीं।
- उन्होंने दलील दी कि 2024-25 की स्थानांतरण नीति के अनुसार पति-पत्नी को एक ही स्थान पर तैनात किया जाना चाहिए।
लेकिन…
📌 कोर्ट ने साफ किया:
➡️ स्थानांतरण नीति में “यथासंभव” (as far as possible) शब्द का प्रयोग किया गया है,
➡️ इसका मतलब है कि यह बाध्यकारी नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक विवेकाधिकार है।
➡️ प्रशासकीय आवश्यकता के आधार पर कर्मचारियों का तबादला किया जा सकता है।
➡️ अदालत नियोक्ता के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती जब तक कि कोई अनुचितता न हो।
🧾 स्थानांतरण नीति 2024-25 का सार:
✅ पति-पत्नी दोनों यदि सरकारी सेवा में हैं,
✅ तो “यथासंभव” उन्हें एक ही जनपद में तैनात किया जाए,
✅ लेकिन प्रशासकीय ज़रूरतें, विभागीय हित, और सार्वजनिक कार्य को प्राथमिकता दी जाएगी।
📌 निष्कर्ष:
यदि आप और आपके जीवनसाथी दोनों सरकारी नौकरी में हैं, तो एक ही जिले में तैनाती की उम्मीद जरूर की जा सकती है, पर यह कानूनी अधिकार नहीं है।
📰 प्रकाशन तिथि: 3 जुलाई 2025
✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम विधि डेस्क
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