🧑‍⚖️ भारत की न्याय व्यवस्था को चाहिए गहरी सर्जरी: सीजेआई बी.आर. गवई की तीखी टिप्पणी

🧑‍⚖️ भारत की न्याय व्यवस्था को चाहिए गहरी सर्जरी: सीजेआई बी.आर. गवई की महत्वपूर्ण टिप्पणी

📍 नई दिल्ली/हैदराबाद | सरकारी कलम विशेष रिपोर्ट
भारत की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शनिवार को न्यायिक व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को सामने रखते हुए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और चिंतनशील वक्तव्य दिया। हैदराबाद स्थित नालसार विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि “भारत की न्यायिक प्रणाली कई विशिष्ट चुनौतियों से गुजर रही है, जिनमें दशकों तक चलने वाले मुकदमे सबसे गंभीर हैं।”


🔍 दशकों तक चलने वाले मुकदमे – न्याय से इनकार?

सीजेआई ने उन मामलों पर प्रकाश डाला जहां ट्रायल में देरी के कारण आरोपी को वर्षों जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में रहना पड़ा और अंततः वह निर्दोष पाया गया। यह भारतीय न्याय प्रणाली की उस दर्दनाक विफलता को दर्शाता है जहां “न्याय मिलने में देरी भी अन्याय के समान होती है।”

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“हमने ऐसे मामले देखे हैं जिनमें व्यक्ति को बिना दोष के कई साल सलाखों के पीछे रहना पड़ा। यह न केवल व्यक्ति की आज़ादी का हनन है, बल्कि संविधान के मूल अधिकारों का भी उल्लंघन है।”
— सीजेआई गवई


🧠 विधि छात्रों को दी प्रेरणा: ताकत नहीं, ईमानदारी चुनें

सीजेआई गवई ने नवनियुक्त विधि स्नातकों को भी स्पष्ट संदेश दिया – “ऐसे मार्गदर्शक चुनें जो ताकतवर नहीं, बल्कि ईमानदार हों।”
उन्होंने यह भी कहा कि छात्र छात्रवृत्ति के माध्यम से विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करें ताकि वे परिवार पर आर्थिक बोझ न डालें।


📚 न्यायिक सुधार की जरूरत क्यों?

सीजेआई ने एक अमेरिकी न्यायाधीश की पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यायिक प्रणाली में दोष के कारण कई बार निर्दोष को सज़ा मिल जाती है और दोषी बच निकलते हैं। उन्होंने कहा कि “यह एक गंभीर विफलता है और इसे सुधारना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”


🔧 समाधान क्या हो सकते हैं?

  1. फास्ट ट्रैक कोर्ट्स की संख्या में वृद्धि
  2. ई-कोर्ट्स प्रणाली को सुदृढ़ करना
  3. जमानत प्रणाली में मानवीय दृष्टिकोण
  4. न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना
  5. विधि छात्रों को सामाजिक न्याय की सोच से जोड़ना

✍️ “सही समय पर न्याय मिलना, अधिकार नहीं सौभाग्य बन गया है” – यह यथार्थ आज के भारत की न्याय व्यवस्था का एक कड़वा सत्य है।

मुख्य न्यायाधीश गवई का यह वक्तव्य न केवल एक न्यायिक सुधार का आह्वान है, बल्कि यह युवा विधि छात्रों को दिशा देने वाली प्रेरणा भी है।

📌 अब समय है कि सरकार, न्यायपालिका और समाज – तीनों मिलकर इस ढहती व्यवस्था में सुधार की ठोस पहल करें।

🖊️ लेखक – सरकारी कलम संपादकीय टीम
🌐 प्रकाशित: www.sarkarikalam.com
📅 दिनांक: 3 जुलाई 2025


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