शासनादेश:- दिनांक 20-08-1992) बेसिक शिक्षा परिषदप्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में “संवंधित” (Attached) नहीं किया जाए।

आपके द्वारा साझा किया गया पत्र (पत्रांक: बे.शि.प./11874-12207/92-93 दिनांक 20-08-1992) बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद द्वारा जारी किया गया था, और इसका मुख्य उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि:


🛑 प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में “संवंधित” (Attached) नहीं किया जाए।


🔍 मुख्य बिंदु इस आदेश के:

  1. अनुचित संबद्धता:
    • यह रिपोर्ट की गई है कि निरीक्षकों या अधिकारियों द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों या प्रधानाध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संबद्ध कर दिया जाता है।
    • यह संबद्धता किसी “विशेष आवश्यकता” या “शिक्षक की कमी” के आधार पर की जाती है।
  2. ⚖️ वेतन संबंधी जटिलताएँ:
    • बाद में ऐसे संबद्ध अध्यापक, उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों के समान वेतन एवं सुविधाओं की मांग करने लगते हैं।
    • और यदि उन्हें यह लाभ नहीं मिलता, तो वे:
      • लोक सेवा अधिकरण
      • या मध्यमा/उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर देते हैं।
  3. 💸 विभागीय क्षति की संभावना:
    • न्यायालयों से आदेश आने पर सरकार को वेतन विसंगतियों का भुगतान, बकाया वेतन, व अन्य वित्तीय लाभ देने पड़ते हैं, जिससे विभाग को भारी आर्थिक क्षति होती है।
  4. 📝 निष्कर्ष / स्पष्ट निर्देश:
    • इस प्रकार की परिस्थितियों से बचने के लिए परिषद द्वारा **साफ तौर पर निर्देशित किया गया है कि प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में किसी भी स्थिति में संबद्ध नहीं किया जाए।

📌 इस आदेश का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपयोग:

यदि किसी शिक्षक को अभी भी प्राथमिक से उठाकर उच्च प्राथमिक विद्यालय में अटैच किया गया है, तो:

  1. वह इस पत्र का हवाला देकर संबद्धता को अवैधानिक ठहरा सकता है।
  2. बीईओ / बीएसए / एमईबी से लिखित में शिकायत कर सकता है।
  3. यह आदेश न्यायिक बचाव में भी एक सशक्त दस्तावेज है यदि कोई शिक्षक वेतन विसंगति या सेवा विवाद में उलझता है।

यह रहा एक प्रतिवेदन (Representation Letter) का ड्राफ्ट, जिसे आप प्रिंट कराकर संबंधित BEO या BSA को भेज सकते हैं:


सेवा में,
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी,
__________ जनपद, उत्तर प्रदेश।

विषय: प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक को उच्च प्राथमिक विद्यालय में अनियमित रूप से अटैच करने के संबंध में प्रतिवेदन।

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महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं, [आपका नाम], सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय __________ (स्कूल का नाम), विकासखंड __________, जनपद __________ में कार्यरत हूं।

मुझे दिनांक [तारीख] को मौखिक/लिखित आदेश के माध्यम से [उच्च प्राथमिक विद्यालय का नाम] में अस्थायी रूप से संबद्ध (Attached) कर दिया गया है। यह आदेश न केवल बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्गत पत्रांक-बे.शि.प./11874-12207/92-93 दिनांक 20-08-1992 के प्रतिकूल है, बल्कि यह शिक्षकों के कार्य क्षेत्र और वेतन संरचना संबंधी गंभीर जटिलताओं को भी जन्म देता है।

इस आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि:

“प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में किसी भी कारण से संबद्ध न किया जाए, क्योंकि कालांतर में वे उच्च प्राथमिक वेतनमान की मांग करते हैं, जिससे विभाग को न्यायिक व वित्तीय क्षति होती है।”

अतः आपसे निवेदन है कि मेरे वर्तमान संबद्धता आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए और मुझे मेरे मूल विद्यालय में कार्य करने की अनुमति दी जाए, जिससे शासनादेशों के पालन में एकरूपता बनी रहे तथा किसी प्रकार की वैधानिक, सेवा संबंधी या वेतन संबंधित जटिलता उत्पन्न न हो।

संलग्न:

  1. स्थानांतरण/अटैचमेंट आदेश की प्रति (यदि उपलब्ध हो)।
  2. बेसिक शिक्षा परिषद का शासनादेश दिनांक 20-08-1992 की प्रति।

आपसे त्वरित एवं न्यायोचित कार्रवाई की अपेक्षा है।

भवदीय,
[आपका नाम]
सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय __________
ब्लॉक __________, जनपद __________
मोबाइल: __________
दिनांक: __________


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