⚖️ बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट : “संवैधानिक प्रक्रिया रोकी नहीं जा सकती” 🗳️
🗓️ अपडेट: जुलाई 2025 |
✍️ ब्यूरो: अमर उजाला, नई दिल्ली
को हरी झंडी देते हुए स्पष्ट किया कि यह संवैधानिक प्रक्रिया है और अदालत इसकी राह में बाधा नहीं करेगी।
साथ ही अदालत ने चुनाव आयोग (ECI) से मतदाता पहचान के लिए
आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को मान्य दस्तावेज़ों में शामिल करने पर विचार करने को कहा। 🗂️
❇️ मुख्य बिंदु एक नज़र में
- 🔹 एसआईआर जारी रहेगा – सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार किया।
- 🔹 आधार + राशन कार्ड को भी वैध पहचान मानने पर विचार करने का निर्देश।
- 🔹 अदालत ने समय-सीमा पर सवाल उठाया – “चुनाव से ठीक पहले क्यों?”
- 🔹 60 %+ मतदाताओं ने पहचान-पत्र सत्यापन पहले से पूरा किया: ECI।
- 🔹 नाम हटाने से पहले सुनवाई का आश्वासन – “बिना पक्ष सुने कोई नाम नहीं कटेगा।”
📜 SIR क्या है?
Special Intensive Revision मतदाता सूचियों का वह ढांचा है
जिसमें घर-घर सत्यापन से लेकर नए नाम शामिल और दोहराव हटाने तक
विस्तृत कार्यवाही होती है। बिहार में यह कवायद लगभग 7.9 करोड़ नागरिकों को कवर करेगी।
विपक्षी दलों ने “चुनावी पूर्वाग्रह” का आरोप लगाया, पर अदालत ने इसे
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत वैध बताया। 📑
⚖️ अदालत में क्या हुआ?
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने
चुनाव आयोग से पूछा: “विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?”
ECI वकील राकेश द्विवेदी का जवाब—
“हमारी विश्वसनीयता संदेह से परे है; 60 % मतदाता पहले ही सत्यापित। बिना सुनवाई किसी का नाम नहीं हटेगा।”
“हम संवैधानिक संस्था को वह करने से नहीं रोक सकते, जो उसे करना चाहिए” – सुप्रीम कोर्ट
🆔 पहचान-पत्र पर बहस
NGO ADR सहित याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आधार नागरिकता का
प्रमाण नहीं, इसलिए इसे छोड़ना उचित नहीं।
अदालत ने कहा, “यदि आधार ठोस पहचान माना गया है तो इसे सूची में क्यों न जोड़ा जाए?”
ECI ने बताया कि SIR फ़ॉर्म के पृष्ठ-16 में आधार पहले से सूचीबद्ध है,
पर अदालत ने राशन कार्ड को भी जोड़ने पर विचार मांगा। 📜
🔮 आगे की राह
- 21 जुलाई – ECI अदालत में विस्तृत हलफनामा दाखिल करेगा।
- 28 जुलाई – याचिकाकर्ता प्रत्युत्तर; अगली सुनवाई।
- ECI को दस्तावेज़ों की अंतिम सूची तय कर कारण सहित अदालत को अवगत कराना होगा।
- अदालत ने अंतरिम रोक की किसी भी माँग को अस्वीकार किया।
🗣️ विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यदि सभी वैध पहचान-पत्र स्वीकार होंगे तो
डुप्लीकेट इंट्री रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
साथ ही पुनरीक्षण का टाइमिंग राजनीतिक बहस का विषय बना रहेगा।
“विश्वसनीय वोटर लिस्ट के बिना पारदर्शी चुनाव असंभव है।” – चुनाव विश्लेषक