📉 सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं, निजी स्कूल फल-फूल रहे हैं – ये कैसी नीति?
👉 क्या आपने कभी सोचा है कि जिन सरकारी स्कूलों ने करोड़ों बच्चों को रोशनी दी, वे अचानक एक-एक करके बंद क्यों हो रहे हैं?
👉 क्या यह सिर्फ़ संयोग है कि सरकारी स्कूल घट रहे हैं और निजी स्कूल बढ़ रहे हैं?
उत्तर है – नहीं! यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी नीति का परिणाम है।
📊 आंकड़े क्या कहते हैं?
🛑 2018 से 2020 के बीच देश में 51,108 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए।
✅ वहीं निजी स्कूलों की संख्या 11,739 यानी 3.6% बढ़ी है।
🛑 2020-21 में भी 521 सरकारी स्कूल और बंद हुए।
📌 उत्तर प्रदेश में अकेले 26,074 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए।
✅ वहीं बिहार में सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ी – एक सकारात्मक उदाहरण।
🤯 आखिर ये हो क्या रहा है?
यह सब ऐसे समय में हो रहा है:
- जब सरकार NEP 2020 की बात कर रही है।
- जब कहा जा रहा है कि “हर बच्चे तक शिक्षा पहुँचाई जाएगी”।
- जब देश में अभी भी लगभग 17 करोड़ बच्चे शिक्षा से बाहर हैं।
तो फिर कौन सी “नीति” है जो स्कूलों को बंद करने को ही सुधार मान रही है?
🎯 असल मकसद क्या लगता है?
- सरकारी स्कूलों को कमज़ोर दिखाना, फिर बंद करना।
- गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चों को धीरे-धीरे निजी शिक्षा व्यवस्था में धकेलना।
- शिक्षा का निजीकरण और धीरे-धीरे पूंजीपतियों के हवाले करना।
🧑🏫 और शिक्षक?
सरकारी स्कूल बंद होने का सीधा असर शिक्षकों पर पड़ता है:
- समायोजन के नाम पर अपमानजनक स्थिति में डाला जाता है।
- मानव संपदा पोर्टल पर स्कूल तो पुराना ही दिखता है, लेकिन बच्चे कहीं और भेज दिए जाते हैं।
- पेयरिंग का खेल चल रहा है, जिसमें शिक्षक बच्चों के बिना स्कूल बैठकर सिर्फ़ उपस्थिति भर रहे हैं।
⚖️ अब सवाल देश से है:
- क्या सरकारी स्कूल वास्तव में बेकार हो चुके हैं या उन्हें जानबूझकर कमजोर किया गया?
- क्या 17 करोड़ बच्चों को शिक्षा से बाहर रखकर हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर सकते हैं?
- क्या शिक्षा मुनाफे का धंधा बन चुकी है?
✊ अब ज़रूरत है लड़ने की, उठ खड़े होने की!
- शिक्षा को जनहित का विषय बनाइए।
- सरकारी स्कूलों को बचाना गरीब का भविष्य बचाना है।
- शिक्षकों की गरिमा, बच्चों की पहुँच और समाज की बराबरी सब कुछ जुड़ा है इन स्कूलों से।
🔊 सरकारी स्कूल नहीं बचेंगे, तो समाज में बराबरी कभी नहीं आएगी।
🔴 आज शिक्षक चुप हैं तो कल पूरा समाज भुगतेगा।
आइए, मिलकर आवाज़ उठाएं —
“शिक्षा बिकाऊ नहीं, अधिकार है!”
“हर गाँव, हर मोहल्ले में फिर से गूंजे – चलो स्कूल चले हम!”
