टीईटी की अनदेखी पर बवाल: प्राथमिक से उच्च प्राथमिक में प्रधानाध्यापकों का तबादला बना विवाद का कारण
✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत कार्यरत प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रूप में स्थानांतरित करने का मामला अब गंभीर विवाद का रूप ले चुका है। शिक्षकों का आरोप है कि यह प्रक्रिया नियम विरुद्ध, एनसीटीई के दिशानिर्देशों की अनदेखी और हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए की गई है।
🔍 मामले की जड़ क्या है?
बेसिक शिक्षा परिषद ने 30 जून 2025 को स्थानांतरण सूची जारी की जिसमें हजारों प्रधानाध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया।
➡️ विवाद का कारण यह है कि इन स्थानांतरित शिक्षकों के पास कक्षा 6-8 हेतु अनिवार्य TET (Teacher Eligibility Test) योग्यता नहीं है।
⚖️ कानूनी और नियामकीय पक्ष
🔹 राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने
- 23 अगस्त 2010,
- 29 जुलाई 2011,
- 12 नवम्बर 2014
को स्पष्ट अधिसूचनाओं में यह निर्देशित किया है कि:
“कक्षा 6 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षक के लिए संबंधित स्तर का TET पास होना अनिवार्य है।”
🔹 इलाहाबाद हाईकोर्ट भी अपने कई आदेशों में स्पष्ट कर चुका है कि बिना उचित TET पास किए उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनाती अवैध है।
📍 मद्रास हाईकोर्ट का अहम फैसला
तमिलनाडु में ऐसे ही एक केस में मद्रास हाईकोर्ट ने बिना TET पास किए हुए शिक्षकों की पदोन्नति को अवैध घोषित किया।
🧾 यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बावजूद स्थगित नहीं हुआ और फैसला सुरक्षित रखा गया है।
🧑🏫 शिक्षकों की आपत्ति क्या है?
बलिया के शिकायतकर्ता ललित मोहन सिंह और अन्य शिक्षकों का कहना है कि
📌 यह तबादला आदेश शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता है।
📌 यह योग्य और टीईटी पास शिक्षक के साथ अन्याय है।
📌 इससे भविष्य में न्यायिक बाधाएं उत्पन्न होंगी और इन स्थानांतरणों की वैधता चुनौती के दायरे में रहेगी।
📋 कुछ विवादास्पद उदाहरण

❗ क्या कहता है 23 मई 2025 का शासनादेश?
इस शासनादेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि
“स्थानांतरण/पदोन्नति के समय NCTE की अधिसूचनाओं और योग्यता का पालन अनिवार्य होगा।“
फिर भी 30 जून की सूची में इसका पालन न के बराबर हुआ।
📢 शिक्षक संगठनों की मांग
- सभी अवैध स्थानांतरण निरस्त किए जाएं।
- केवल उच्च प्राथमिक TET उत्तीर्ण शिक्षकों को ही उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भेजा जाए।
- शासनादेश और एनसीटीई अधिसूचनाओं के अनुपालन की जांच हो।
- दोषी अधिकारियों पर प्रशासनिक कार्रवाई हो।
📌 निष्कर्ष:
बेसिक शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल नियमविरुद्ध है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों के भविष्य दोनों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
📣 यदि इस पर समय रहते संज्ञान नहीं लिया गया, तो यह मसला भी जल्द ही न्यायालय की चौखट पर व्यापक रूप ले सकता है।
📌 सरकारी कलम टीम इस विषय पर अपडेट देता रहेगा। जुड़े रहें।
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