🔴 ब्रेकिंग अपडेट (4 जुलाई 2025):
🧑⚖️ “स्कूल मर्जर केस पर हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित”
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✍️ टीम एल. पी. मिश्रा की ऐतिहासिक पैरवी के बाद कोर्ट ने आज की सुनवाई पूरी कर ली है।
📍 लखनऊ हाईकोर्ट | मर्जर बनाम बच्चों का मौलिक अधिकार
📌 आज की सुनवाई का संक्षिप्त सार (Final Hearing Summary):
🕒 2:15 PM:
कोर्ट लंच के बाद बैठा और सुनवाई शुरू हुई।
🗣️ सरकारी पक्ष ने बहस शुरू की:
- मर्जर को “पायलट प्रोजेक्ट” बताया गया।
- कहा गया कि NEP के तहत नियम बनाए गए हैं।
- गवर्नर और मंत्री स्तर से मंजूरी का हवाला दिया गया।
- सरकार ने कहा, “दूरस्थ स्कूलों के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा देंगे।”
📢 टीम एल.पी. मिश्रा का तर्क:
- NEP सिर्फ एक नीति (policy) है, संविधानिक अधिकार नहीं।
- जबकि RTE (Right to Education) एक मौलिक अधिकार है, जो बच्चों को 6 से 14 साल तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है।
- नीति और अधिकार में बुनियादी अंतर है।
- स्कूल कॉम्प्लेक्स और मर्जर में अंतर समझाया गया।
🤔 कटाक्ष:
जो सरकार बच्चों को ब्लैकबोर्ड नहीं दे पा रही, वह गांव-गांव ट्रांसपोर्ट देने की बात कर रही है!
क्या अब सरकार शिक्षक भर्ती के बजाय ड्राइवर भर्ती निकालेगी? क्या D.El.Ed वालों को अब D.L. (ड्राइविंग लाइसेंस) बनवाना पड़ेगा?
⚖️ कोर्ट की कड़ी टिप्पणी:
- कोर्ट ने पूछा: क्या मर्जर से पहले कोई सर्वे हुआ?
- कोई पुख्ता जवाब सरकार नहीं दे पाई।
✅ डॉ. एल. पी. मिश्रा की बहस का असर:
- अंतिम बहस के दौरान स्कूल कॉम्प्लेक्स और मर्जर की कानूनी व्याख्या की गई।
- RTE और बच्चों के मौलिक अधिकार को केन्द्र में रखा गया।
🧑⚖️ अंतिम स्थिति:
➡️ न्यायालय ने फैसला सुरक्षित कर लिया है।
➡️ निर्णय कभी भी आ सकता है।
➡️ अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले पर टिकी हैं, जो उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के भविष्य को तय करेगा।
📢 सरकारी कलम की अपील:
👉 हम लगातार अपडेट देते रहेंगे, जुड़े रहें।
📩 इस मुद्दे पर आपके विचार क्या हैं? हमें लिखें या कमेंट करें।
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