🔴 दांदरपुर की शिक्षिका रेनू दुबे को जातीय आधार पर नौकरी से निकाले जाने का आरोप, मामला गरमाया
📍 इटावा | सरकारी कलम रिपोर्ट
दांदरपुर गांव की शिक्षिका रेनू दुबे ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें जाति के आधार पर डीएल इंटरनेशनल स्कूल, निबाड़ी से हटाया गया है। रेनू का कहना है कि स्कूल प्रबंधक रंजीत यादव ने कथित तौर पर यादव जाति से न होने के चलते उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया।
👩🏫 क्या है पूरा मामला?
- रेनू दुबे, जिनके पति का दो साल पहले निधन हो गया था, अपनी 12 वर्षीय बेटी की परवरिश के लिए स्कूल में पढ़ा रही थीं।
- 23 जून को वह खितौरा गांव में बच्चों के नामांकन के लिए गई थीं, जहां कुछ स्थानीय युवाओं ने उन्हें रोका और जातिगत अभद्रता की।
- कथित तौर पर युवकों ने धमकाते हुए कहा –
“तुम्हारे गांव के ब्राह्मणों ने जो किया है, उसकी सजा यही है।” - रेनू ने डर के मारे स्कूल नहीं गईं, लेकिन अगले ही दिन उन्हें प्रबंधक रंजीत यादव की ओर से फोन आया कि अब वे स्कूल में कार्यरत नहीं हैं।
🧾 स्कूल प्रबंधक का पक्ष
- रंजीत यादव ने आरोपों से इनकार किया है।
- उन्होंने कहा कि रेनू दुबे को निकाला नहीं गया है, और वे 1 जुलाई से पुनः स्कूल में कार्यभार संभालेंगी।
🚨 पृष्ठभूमि: जातीय तनाव
- दांदरपुर गांव पहले भी चर्चा में रहा है, जहां भागवताचार्य ब्राह्मणों द्वारा जाति छिपाने के आरोपों के बाद यादव समुदाय में नाराजगी देखी गई थी।
- रेनू दुबे पर हुई घटना ने इस विवाद को फिर से गरमा दिया है।
🛡️ सुरक्षा इंतजाम
- घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए, रेनू दुबे के घर के बाहर पीएसी तैनात कर दी गई है।
- मामले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है।
📌 सरकारी कलम की अपील:
जातीय भेदभाव हमारे समाज के लिए एक गंभीर विष है। यदि शिक्षिका के आरोप सत्य हैं, तो यह केवल एक महिला की नौकरी का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों पर हमला है। प्रशासन से निष्पक्ष जांच की अपेक्षा है। और भागवत कांड पर भी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी जरूरी है ।।
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